आस्था के संदर्भ में मृत्यु
विवरण: मृत्यु सब कुछ का अंत नहीं है; यह एक लंबी यात्रा का एक स्टेशन मात्र है। हम इसे सकारात्मक रूप से देख सकते हैं और इस संसार में और अधिक उपलब्धियाँ प्राप्त करने और परलोक में भले परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को इस विचार से सकारात्मक रूप में प्रभावित कर सकते हैं।
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- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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पुरातन काल में, यदि कोई स्त्री सपने में देखती कि किसी आदमी ने घर में लालटेन बुझा दी है, या देखती कि कोई बड़ा सा घर भरभरा कर गिर गया है, तो स्वपन शास्त्री उसे बताता कि घर का पुरुष काल का ग्रास बनने वाला है!
किसी व्यक्ति ने कहा: "मैंने सपने में स्वयं को भोर में बैसाखी के सहारे चलते देखा, और एक घंटे बाद मुझे सूचना मिली कि मेरे पिता का निधन हो गया था।"
पुराने समय में अरबी लोग कौए को अपशकुन मानते थे। यह सब इस्लाम के आने पहले व्यापत अज्ञान से उपजा अन्धविश्वास था।
पैगंबर मुहम्मद ने एक धर्मोपदेश में कहा था: "ईश्वर ने एक सेवक को एक चुनाव करने को कहा कि या तो वह पृथ्वी के पुष्प चुन ले या फिर ईश्वर के पास उसके लिए कुछ है उसे चुन ले, और उन्होंने ईश्वर के पास उनके लिए जो था उसे चुना।" लोग इस बात को समझ न पाने के कारण हैरान थे, लेकिन अबू बक्र रोने लगे, उन्हें समझ आ गया था कि पैगंबर लोगों को बता रहे थे कि उनका जीवन समाप्त होने वाला है।"[1]
एक छोटी लड़की से किसी ने पूछा: तुम्हारे परिवार में कितने बच्चे हैं?"
उसने उत्तर दिया: "सात हैं।"
प्रश्नकर्ता ने पूछा: "कहाँ हैं वे?"
लड़की ने कहा: "पाँच यहाँ है, और दो वहाँ पेड़ के नीचे हैं।"
प्रश्नकर्ता ने लड़की द्वारा इंगित दिशा में देखा तो पाया कि वहाँ पेड़ के नीचे कब्र के दो पत्थर थे।
"तो इसका अर्थ है कि तुम लोग पाँच हो।" "नहीं,," लड़की ने बोला, "हम सात ही हैं।"
मृत्यु न तो विनाश है और न ही यह अंत है। यह तो यह एक अवस्था से दूसरी अवस्था में बदलाव मात्र है। यह एक नए लोक में पुनः जन्म लेना है। यद्यपि यह ऐसा लगता कि जैसे किसी विद्युत यंत्र के तार को खींच कर हटा दिया गया हो, तथापि यह एक क्षणिक, अस्थायी अवस्था है। हम बच्चों को कहते हैं कि मृतक “ईश्वर के पास चला गया है”। यह इस बात को बताने का एक अच्छा तरीका है। यह इसे देखने का एक सकारात्मक तरीका है और यह हमारी आस्था के साथ मेल भी खाता है।
जीवन का अर्थ
फ्रांसीसी अस्तित्ववादी दार्शनिक अल्बर्ट कैमस ने कहा था कि चूंकि हम सभी की मृत्यु अवश्यम्भावी है, इसलिए किसी भी चीज का कोई अर्थ नहीं है।
इससे बहुत पहले, अल-खय्याम ने कहा था: "यह कांच इतना उत्तम रूप में निर्मित है, तो अंततः क्यों इसे विनाश को प्राप्त होना होगा?"
ये विनाशकारी, शून्यवादी विचार हैं। इसके विपरीत, पैगंबर मुहम्मद ने कहा था: "इस संसार में एक अतिथि या पथिक के रूप में रहो।"इब्न उमर कहा करते थे: "जब रात को सोने जाते हो तो भोर की प्रतीक्षा न करो, और जब जागो तो रात आने की प्रतीक्षा न करो। बीमारी पड़ने से पहले अपने स्वास्थ्य का लाभ उठा लो और मृत्यु के आने से पहले अपने जीवन का सदुपयोग कर लो।"[2]
जीवन किसी हवाई अड्डे की तरह है; यह भविष्य की लंबी यात्रा की तैयारी मात्र है।
ईश्वर कहता है: "वही है जिसने तुम्हें परखने के लिए मृत्यु और जीवन की रचना की कि तुम में से कौन कृत्यों और कर्मों में श्रेष्ठ है।" (क़ुरआन 67:2)
यह इसे देखने का एक सकारात्मक तरीका है। सक्रियता की समाप्ति के रूप में देखे जाने के बजाय, इस अपरिहार्य घटना को सक्रियता के उत्प्रेरक के रूप में देखा जाता है। हमें समय रहते, जब हम सक्षम हैं, अपने कार्यों को पूरा करने और अपनी पहचान बनाने की जरूरत है।
जब हम इस बात को जानने लगते हैं कि जीवन छोटा है, तो यह हमें अधिक क्षमाशील व्यक्ति बनने में सहायता करता है। यदि हम सच में यह अनुभव करने लगें कि दूसरों के साथ हमारा समय सीमित है, तो हम व्यक्तिगत विद्वेषों को विस्मृत करने को तैयार रहेंगे।
हम स्वयं से तीन महत्वपूर्ण प्रश्न पूछने को विवश हैं:
1. हम कैसे एक प्रसन्न, उत्पादक जीवन जी सकते हैं?
2. हमारे जाने के बाद लोग क्या कहेंगे? उन्हें हमारी जीवनकथा से क्या प्रेरणा मिलेगी?
3. जब हम परलोक जीवन की ओर बढ़ेंगे तो हमारे पास कौनसे अच्छे कर्म होंगे?
पावन पूर्वजों में से किसी ने कहा था: "ऐसे लोग भी हैं जो इतने अच्छे कर्म कर रहे होते हैं कि अगर उन्हें यह भी पता चल जाये कि वे अगले दिन मरने वाले हैं, तो ही वे जो कर रहे हैं उससे अधिक कर पाने में सक्षम नहीं होंगे।"
अली इब्न अबी तालिब ने कहा था: "हर श्वास के साथ, व्यक्ति मृत्यु के समीप आता है।" उन्होंने यह भी कहा था: "इस संसार में इस प्रकार कर्मरत रहो जैसे कि तुम सदैव जीवित रहोगे, लेकिन परलोक के लिए इस प्रकार कर्म करो जैसे कि तुम कल ही मृत्यु को प्राप्त होने वाले हो।"
स्टीव जॉब्स ने एक बार एक भाषण में बताया कि कैसे उन्हें एक दोस्त के कमरे में जमीन पर सोना पड़ता था, कैसे उन्हें मुफ्त भोजन के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता था, कैसे उनकी युवा मां को उनके जन्म के बाद ऐसे व्यक्तियों को खोजने में संघर्ष करना पड़ा था जो उन्हें गोद ले ले, कैसे उन्हें उनके ही द्वारा स्थापित कंपनी से बड़ी सरलता से निकाल बाहर कर दिया गया था, और जब उन्हें अग्नाशय के कैंसर का पता चला था तो उन्हें कैसा अनुभव हुआ था। इसके बाद उन्होंने कहा था: "यदि आप हर दिन ऐसे जीते हैं जैसे कि यह आपका अंतिम दिन हो, तो एक दिन आप निश्चित रूप से सही होंगे।"
मौत को सकारात्मक दृष्टि से कैसे देखें
1. इसे बिना किसी उत्पीड़न या अन्याय के किसी स्थान की यात्रा के रूप में सोचना ही पर्याप्त है। प्रलय और न्याय के दिन, यह कहा जाएगा: "आज, प्रत्येक आत्मा ने जो कमाया है, उसका प्रतिफल दिया जाएगा। आज कोई अन्याय नहीं है।" (क़ुरआन 40:17)
2. यह हमारे दिवंगत प्रियजनों के साथ एक पुनर्मिलन है। मृत्यु से ठीक पहले, मुआद इब्न जबाल ने कहा था: "कल, मैं उन लोगों (मुहम्मद और उनके साथियों) से मिलूंगा जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ।"
3. यह भौतिक अस्तित्व के बंदी-गृह से मुक्ति है। पैगंबर ने कहा था: "यह संसार आस्तिक का कारागार है।"[3]
4. यह उन लोगों के लिए करुणा है जिनका जीवन दुर्बल कर देने वाले रोग, अभाव या अक्षमता के कारण से अभिशाप बन गया है या जब किसी व्यक्ति का मस्तिष्क इतना क्षीण हो जाता है कि वे अपने प्रियजनों के संग बातचीत भी नहीं कर सकते हैं।
5. मृत्यु निद्रा के समान है। दोनों हमारे अस्तित्व की स्थिति में परिवर्तन हैं। एक दूसरे जीवन के ओर स्थायी कदम है, और दूसरा इसका पूर्वाभास कराता है।
6. यह जानना कि हम एक दिन मरने वाले हैं, हमें जीवन के दुखों और समस्याओं का सामना करते समय अपने मूल्यों को बनाए रखने में सहायता करता है, और जब हम अनैतिक किन्तु आकर्षक विकल्पों का सामना करते हैं तो हमारे लिए सही निर्णय लेना सरल हो जाता है।
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