पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार
विवरण: पति पत्नी में अच्छा व्यवहार आस्था का प्रतीक है।
- द्वारा Imam Mufti
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
- मुद्रित: 1
- देखा गया: 6,668 (दैनिक औसत: 6)
- द्वारा रेटेड: 0
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार
ईश्वर पुरुषों को निर्देश देता है कि वे अपनी पत्नियों के साथ अच्छे रहें और जितना हो सके उनके साथ अच्छा व्यवहार करें:
"...और उनके साथ दयालुता से रहें... " (क़ुरआन 4:19)
ईश्वर के दूत ने कहा, सबसे अच्छे आस्थावानों के चरित्र में विश्वास सबसे महत्वपूर्ण होता है। आप में सबसे अच्छे लोग वही हैं जो अपनी पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं।'[1] दया और करुणा के पैगंबर हमें बताते हैं एक मुस्लिम पति का अपनी पत्नी के प्रति अच्छा व्यवहार उसके अच्छे चरित्र को दर्शाता है, जो अंततः उसकी आस्था का परिचायक है। एक मुस्लिम पति अपनी पत्नी के प्रति किस प्रकार अच्छा व्यवहार कर सकता है? उसे मुस्कुराना चाहिए, पत्नी को भावनात्मक रूप से आहत नहीं करना चाहिए, ऐसी किसी भी वस्तु को हटा देना चाहिए जिससे पत्नी को नुकसान पहुंचता हो, उसके साथ नरमी से व्यवहार करना चाहिए और उसके साथ धैर्य का परिचय देना चाहिए।
अच्छे व्यवहार में सम्मिलित है अच्छा संवाद। पति को खुले हृदय से अपनी पत्नी की बात सुनने के लिये तैयार रहना चाहिए। कई बार पति अपने काम से संबंधित मन की निराशा और कुंठा बाहर निकालना चाहता है। पति को याद से अपनी पत्नी से पूछना चाहिए कि उसे क्या बात परेशान करती है (जैसे बच्चे होमवर्क नहीं करते)। पति को ऐसे समय में महत्वपूर्ण बातों के बारे में बात नहीं करनी चाहिए जब वह या उसकी पत्नी क्रोधित हों, थके हुए हों या भूखे हों। संवाद, समझौता और सहयोग विवाह की आधारशिला है।
अच्छे व्यवहार में पत्नी को प्रोत्साहित करना भी सम्मिलित है। एक सच्ची प्रशंसा एक सच्चे और ईमानदार हृदय से ही निकलती है, जो यह समझता हो कि किस बात से वाकई अंतर पड़ता है - पत्नी असल में किस चीज़ को महत्व देती है। इसलिए पति को स्वयं से पूछना चाहिए कि उसकी पत्नी किस बात से सबसे अधिक असुरक्षित अनुभव करती है और उसे यह पता करना चाहिए कि वह किस बात को महत्व देती है। पत्नी के लिये यही सबसे मीठी प्रशंसा होती है। जितना अधिक पति प्रशंसा करता है, पत्नी उतना ही अधिक उसको मान्यता देती है, और पति की यह अच्छी आदत उस पर अधिक प्रभाव डाल सकती है। प्रशंसा के कुछ वाक्य हैं जैसे, "मुझे पसंद है जिस तरह तुम सोचती हो," "इन कपड़ों में तुम बहुत सुंदर दिखती हो" और "फोन पर तुम्हारी आवाज़ सुनना मुझे बेहद पसंद है।"
मनुष्यों में कोई न कोई दोष होता है। ईश्वर के दूत ने कहा, "एक आस्थावान पुरुष को एक आस्थावान स्त्री से घृणा नहीं करनी चाहिए। अगर उसे पत्नी के चरित्र में कोई बात अच्छी नहीं लगती, तो उसे पत्नी के कुछ दूसरे गुणों को पसंद कर लेना चाहिए।"[2] एक पुरुष को अपनी पत्नी से इसलिए घृणा नहीं करनी चाहिए कि उसे पत्नी की कुछ बातें पसंद नहीं हैं, प्रयास किया जाए तो वह उसमें कोई ऐसी बातें ढूँढ़ सकता है जो उसे पसंद आयें। पति के लिये पत्नी की अच्छी बातें जानने का एक उपाय है कि वह आधा दर्जन ऐसे गुणों की सूची बनाए जो उसे पत्नी में पसंद हैं। विवाह विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अपनी सोच को जितना हो सके स्पष्ट रखें और पत्नी के गुणों पर ध्यान दें, न कि केवल इस बात पर कि वह पति के लिये क्या काम करती है — जैसा इस्लाम के पैगंबर ने भी कहा है। उदाहरण के लिये, एक पति इस बात के लिये पत्नी की प्रशंसा कर सकता है कि वह उसके लिये साफ़ कपड़ों का बहुत अच्छा प्रबंध करती है, पर इससे पत्नी के इस गुण का पता चलता है कि वह कितनी विचारशील और सुगढ़ है। पति को अपनी पत्नी के गुणों पर ध्यान देना चाहिए जैसे वह कितनी दयालु, दानशील, नेक, आस्थावान, रचनात्मक, सुगढ़, ईमानदार, स्नेही, उत्साही, नर्मदिल, आशावान, समर्पित, विश्वसनीय, आत्मविश्वासी, हंसमुख आदि है। पति को इस सूची को बनाने में अपने आप को कुछ समय देना चाहिए, और कभी झगड़े के समय जब पत्नी से मनमुटाव हो तो उस सूची को फिर से देखना चाहिए। इससे पति को अपनी पत्नी के गुणों को समझने में मदद मिलेगी और उसकी प्रशंसा करने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
ईश्वर के पैगंबर के एक साथी ने पूछा कि पत्नी के अपने पति के ऊपर क्या क्या अधिकार होते हैं? उन्होंने कहा, "यही कि जब आप खाएँ तो उसे खिलाएँ, जब आप अपने लिये कपड़े लें तो उसे भी दें और उसके मुँह पर वार न करें। उसे बदनाम न करें और घर से बाहर कभी अकेला न छोड़ें।"[3]
वैवाहिक जीवन में संघर्ष होना अवश्यंभावी है और संघर्ष से क्रोध उपजता है। सभी भावनाओं में क्रोध ऐसी भावना है जिस पर नियंत्रण करना सबसे कठिन है, और उसे नियंत्रित करने के लिये सबसे पहला कदम है यह सीखना कि जो हमें चोट पहुंचाए उसे क्षमा कर दें। झगड़ा होने पर पति को पत्नी से बात करना बंद नहीं कर देना चाहिए और उसे भावनात्मक रूप से आहत नहीं करना चाहिए, परंतु वह उसके साथ एक ही बिस्तर पर सोना बंद कर सकता है अगर उससे बात बनती है तो। पति जब क्रोधित हो या उसे लगता हो कि वह सही है, किसी भी हालत में उसे पत्नी को कटु शब्द कहकर बदनाम करने या चोट पहुँचाने की आज्ञा नहीं है।
टिप्पणी करें