निम्नलिखित तीन भागो की श्रृंखला में मरयम (यीशु की माता) के बारे में पवित्र क़ुरआन के छंद शामिल हैं, जिसमें उनके जन्म, बचपन, व्यक्तिगत गुण और यीशु का चमत्कारी जन्म शामिल है।
बहुत से लोग पॉल के लेखन का उपयोग यह साबित करने के लिए करते हैं कि यीशु ही ईश्वर है। लेकिन यह पॉल के लिए उचित नहीं है, क्योंकि पॉल स्पष्ट रूप से मानते थे कि यीशु ईश्वर नहीं हैं।
ईसाई उन्हें ईसा की माता मैरी के नाम से जानते हैं। मुसलमान भी उन्हें ईसा की मां या अरबी में उम्म ईसा के रूप में संदर्भित करते हैं। इस्लाम में मैरी को अक्सर मरियम बिन्त इमरान कहा जाता है; इमरान की बेटी मरियम। यह लेख ज़करिय्या द्वारा मरयम को गोद लिए जाने के बारे में कुछ पृष्ठभूमि देता है ताकि वह मंदिर में सेवा कर सके।
एक गुमराह हुआ लड़का पेंटेकोस्टल चर्च के माध्यम से अपना उद्धार पाता है और 20 साल की उम्र में पुरोहिती के लिए उसके आह्वान का जवाब देता है, जो बाद में मुसलमान बना। भाग 1
इस दूसरे लेख में वास्तविक उदाहरण और कहानियां है जिससे हमें यह पता चलेगा की हर व्यक्ति की जीवन में कुछ ऐसी बाधाएं होती हैं जिस पर उसका नियंत्रण होता है और कुछ ऐसी बाधाएं होती हैं जिस पर उसका नियंत्रण नही होता और जो बाधाएं उसके नियंत्रण से बाहर हो उसे सर्वशक्तिमान ईश्वर की तरफ से तक़दीर मान लेना चाहिए।
मुख्य वक्ता: Dr. Bilal Philips (transcribed from an audio lecture by Aboo Uthmaan)
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