मन की शांति की खोज (4 का भाग 2): तक़दीर को स्वीकार करना
विवरण: इस दूसरे लेख में वास्तविक उदाहरण और कहानियां है जिससे हमें यह पता चलेगा की हर व्यक्ति की जीवन में कुछ ऐसी बाधाएं होती हैं जिस पर उसका नियंत्रण होता है और कुछ ऐसी बाधाएं होती हैं जिस पर उसका नियंत्रण नही होता और जो बाधाएं उसके नियंत्रण से बाहर हो उसे सर्वशक्तिमान ईश्वर की तरफ से तक़दीर मान लेना चाहिए।
- द्वारा Dr. Bilal Philips (transcribed from an audio lecture by Aboo Uthmaan)
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
- मुद्रित: 0
- देखा गया: 7,990 (दैनिक औसत: 7)
- द्वारा रेटेड: 0
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
हमारे पास इतनी समस्याएं हैं, इतनी बाधाएं हैं कि वे बीमारियों की तरह हैं। अगर हम एक-एक करके इनसे निपटने की कोशिश करेंगे तो हम उनसे कभी भी नहीं निकल पाएंगे। हमें इनकी पहचान करके इन्हें कुछ श्रेणियों में रखना होगा और प्रत्येक व्यक्तिगत बाधा और समस्या से एक-एक कर के निपटने के बजाय एक पूरे समूह के रूप में इनसे निपटना होगा।
ऐसा करने के लिए हमें सबसे पहले उन बाधाओं को दूर करना होगा जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। हमें यह अंतर करना आना चाहिए कि कौन सी बाधाएं हमारे नियंत्रण में हैं और कौन सी हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। हम जिन बाधाओं को हमारे नियंत्रण से बाहर समझते हैं, वास्तविकता में वह नहीं होती। ये वे चीजें होती हैं जिसे ईश्वर ने हमारे जीवन में हमारे लिए नियत की हैं, वे वास्तव में बाधाएं नहीं हैं, लेकिन हम उन्हें बाधाएं समझने की गलती करते हैं।
उदाहरण के लिए, आज कल की दुनिया में काला पैदा होना जहां गोरे लोगों को काले लोगों से अच्छा समझा जाता है; और गरीब पैदा होना जहां अमीर लोगों को गरीब लोगों से अच्छा समझा जाता है या छोटे कद का पैदा होना, या अपंग होना, या कोई अन्य शारीरिक विकलांगता होना।
ये सभी चीजें हैं जो हमारे नियंत्रण से बाहर थीं और हैं। हमने यह नहीं चुना कि किस परिवार में जन्म लेना है; हमने यह नहीं चुना कि हमारी आत्मा को किस शरीर में डाला जायेगा, यह हम नहीं चुन सकते। तो जब भी हमें इस प्रकार की बाधाएं मिलती हैं, हमें बस धैर्य रखना होगा और महसूस करना होगा कि वास्तव में ये बाधाएं नहीं हैं। ईश्वर ने हमें बताया:
"...और यह हो सकता है कि आप उस चीज़ को नापसंद करते हैं जो आपके लिए अच्छी है और आपको वह चीज़ पसंद है जो आपके लिए बुरी है। ईश्वर जानता है लेकिन तुम नहीं जानते हो।" (क़ुरआन 2:216)
तो जो बाधाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हैं हम उन्हें नापसंद करते हैं और हम उन्हें बदलना चाहते हैं, और वास्तव में कुछ लोग उन्हें बदलने की कोशिश में बहुत पैसा खर्च करते हैं। माइकल जैक्सन एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वह काला पैदा हुआ था एक ऐसी दुनिया में जो गोरे लोगों का पक्ष लेती है, इसलिए उसने खुद को बदलने की कोशिश में बहुत पैसा खर्च किया लेकिन उसने सब चीजें बिगाड़ दी।
मन की शांति तभी मिल सकती है जब हमारे नियंत्रण से बाहर की बाधाओं को हम धैर्यपूर्वक ईश्वर की नियति के रूप में स्वीकार कर लें।
जान लो कि जो कुछ भी होता है जिस पर हमारा नियंत्रण हो या न हो, उसमें ईश्वर ने कुछ अच्छा रखा होता है, चाहे हम समझ सकें या न समझ सकें कि इसमें क्या अच्छा है। तो हमें इसे स्वीकार करना चाहिए!
एक अखबार में एक लेख था जिसमें एक मिस्र के आदमी की मुस्कुराते हुए तस्वीर थी। उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान थी, उसने दोनो हाथ फैलाये हुए थे और दोनों अंगूठे ऊपर की ओर थे; उसके पिता उसके एक गाल पर और उसकी बहन दूसरे गाल पर चूम रही थी।
तस्वीर के नीचे शीर्षक था। उसे एक दिन पहले काहिरा से बहरीन के लिए गल्फ एयर के विमान में जाना था। वह जाने के लिए हवाईअड्डे पर उतरा और जब वह वहां पहुंचा तो उसके पासपोर्ट पर एक डाक टिकट कम था (काहिरा में आपको अपने दस्तावेजों पर कई डाक टिकटें लगानी होती है। आपको इस पर एक व्यक्ति से मुहर लगवाना और उस पर हस्ताक्षर करवाना होता है) लेकिन जब वह हवाईअड्डे पर था तो एक डाक टिकट कम था। चूंकि वह बहरीन में एक शिक्षक था और यह उड़ान बहरीन के लिए आखिरी उड़ान थी जो उन्हें समय पर वापस ले जा सकती थी, इस उड़ान के छूटने से उनकी नौकरी छूट जाती। इसलिए उसने उन्हें फ्लाइट में जाने देने के लिए कहा। वह गुस्सा हो गया, रोने लगा और चीखने-चिल्लाने लगा और पागल हो गया, लेकिन वह विमान पर नहीं चढ़ सका और विमान उड़ गया। वह परेशान होकर काहिरा में अपने घर यह सोचकर गया कि उसका करियर समाप्त हो गया है। उसके परिवार ने उसे दिलासा दिया और कहा कि इस बारे में चिंता न करें। अगले दिन, उसने यह खबर सुनी कि जिस विमान में उसे जाना था वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें सवार सभी लोग मर गए। और फिर वह खुश था क्योंकि वह उस विमान में नहीं था, लेकिन एक दिन पहले उसे लगा था कि यह उसके जीवन का अंत था, एक दुखद घटना थी कि वो विमान में नहीं जा सका।
ये संकेत हैं, और ऐसे संकेत मूसा और खिजर की कहानी में मिलते हैं (पवित्र क़ुरआन का अध्याय अल-कहफ जो बेहतर है कि हम हर शुक्रवार को पढ़ें)। जब खिजर ने उन लोगों की नाव में छेद किया जो उन्हें और मूसा को नदी के पार ले जा रही थी, तो मूसा ने पूछा कि आपने (खिजर) ऐसा क्यों किया।
जब नाव के मालिकों ने नाव में छेद देखा तो उन्होंने सोचा कि यह किसने किया और सोचा कि यह एक गलत काम है। थोड़ी देर बाद जब राजा नदी के पास आया और उसने उस छेद वाली नाव को छोड़कर सभी नावों को जबरदस्ती ले लिया। तो नाव के मालिकों ने ईश्वर की प्रशंसा की उनकी नाव में एक छेद था।[1]
अन्य बाधाएं या वे चीजें जिन्हें हम जीवन की बाधाएं समझते हैं, वे ऐसी चीजें होती है जिन्हें हम नहीं समझ सकते कि ये किसलिए है। कुछ होता है और हम नहीं जानते क्यों, हमारे पास इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं होता। कई लोगों को यह अविश्वासी बनाता है। यदि किसी नास्तिक को देखें तो उसे मन की शांति नहीं होती और उसने ईश्वर को अस्वीकार कर दिया होता है। वह व्यक्ति नास्तिक क्यों बन गया? ईश्वर में अविश्वास करना असामान्य है, जबकि ईश्वर में विश्वास करना हमारे लिए सामान्य है क्योंकि ईश्वर ने हमें उस स्वाभाविक प्रवृत्ति के साथ बनाया है कि हम उस पर विश्वास करें।
ईश्वर कहता है:
"तो (हे नबी!) आप सीधा रखें अपना मुख इस धर्म की दिशा में, एक ओर होकर, उस स्वभाव पर, पैदा किया है ईश्वर ने मनुष्यों को जिस पर। बदलना नहीं है ईश्वर के धर्म को, यही स्वभाविक धर्म है, किन्तु अधिक्तर लोग नहीं जानते। "(क़ुरआन 30:30)[2]
पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने कहा:
"हर बच्चा एक शुद्ध स्वभाव के साथ पैदा होता है (एक मुस्लिम के रूप में ईश्वर पर विश्वास करने का स्वभाव)..." (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
यह मनुष्य का स्वभाव है, लेकिन जो व्यक्ति बचपन से बिना सिखाए नास्तिक बन जाता है, वह आमतौर पर एक दुखद घटना के कारण ऐसा करता है। यदि उनके जीवन में कोई दुखद घटना होती है तो उनके पास इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं होता कि ऐसा क्यों हुआ।
उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो नास्तिक बन गया है, कह सकता है कि उसकी एक बहुत अच्छी चाची थी; वह एक बहुत अच्छी इंसान थी और हर कोई उनसे प्यार करता था, लेकिन एक दिन जब वह सड़क पार कर रही थी तो एक कार कहीं से आयी और उन्हें टक्कर मार दी और उनकी मौत हो गई। उनके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्यों? कोई स्पष्टीकरण नहीं! या किसी व्यक्ति (जो नास्तिक बन गया है) के पास एक बच्चा हो सकता है जो मर जाता है और वो कहता है कि मेरे बच्चे के साथ ऐसा क्यों हुआ? क्यों? कोई स्पष्टीकरण नहीं! ऐसी दुखद घटनाओं के कारण वे सोचते हैं कि ईश्वर हो ही नहीं सकता।
फुटनोट:
[1] राजा एक अत्याचारी था और हर अच्छी नाव को बलपूर्वक जब्त करने के लिए जाना जाता था, लेकिन नाव के मालिक गरीब लोग थे और यह उनके लाभ का एकमात्र साधन था इसलिए खिजर चाहते थे कि नाव में दोष हो ताकि राजा इसे जब्त न करे और गरीब लोग इससे लाभान्वित होते रहें।
[2] इस छंद को प्रतिलेखकों द्वारा प्रतिलेखन में जोड़ा गया है।
टिप्पणी करें