सलमान अल-फारसी, पारसी, फारस (2 का भाग 1): पारसी धर्म से ईसाई धर्म तक
विवरण: सबसे महान साथियों में से एक, सलमान फारसी, जो कभी पारसी (मगीन) थे, ईश्वर के सच्चे धर्म के लिए अपनी खोज की कहानी बताते हैं। भाग एक: पारसी धर्म से ईसाई धर्म तक।
- द्वारा Salman the Persian
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
- मुद्रित: 0
- देखा गया: 7,483
- द्वारा रेटेड: 5
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) के धन्य साथी सलमान अल-फारसी [1] इस्लाम की अपनी यात्रा को इस प्रकार बताते हैं:
“मैं इस्फ़हान [2] के लोगों में से एक फ़ारसी व्यक्ति था जो जयी के नाम के एक शहर से था। मेरे पिता नगर प्रमुख थे। उनके लिए मैं ईश्वर का सबसे प्रिय सृजन था। मेरे लिए उनका प्यार इस हद तक पहुंच गया था कि उन्होंने मुझे उस आग की निगरानी करने पर भरोसा किया जो उन्होंने खुद जलाई [3] थी। वह इसे बुझने नहीं देना चाहते थे।
मेरे पिता के पास उपजाऊ भूमि का एक बड़ा क्षेत्र था। एक दिन, अपने निर्माण में व्यस्त रहते हुए, उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनकी भूमि पर जाऊँ और उनके कुछ कामों को पूरा करूं। उनकी भूमि पर जाते हुए, मैं एक ईसाई चर्च देखा। मैंने अंदर से लोगों के प्रार्थना करने की आवाज सुनी। मैं नहीं जानता था कि लोग बाहर कैसे रहते हैं, क्योंकि मेरे पिता ने मुझे अपने घर में कैद कर रखा था! सो जब मैं [कलीसिया में] उन लोगों से मिला, और उनकी आवाज सुनी, तो मैं भीतर गया, यह देखने के लिए कि वे क्या कर रहे हैं।”
जब मैंने उन्हें देखा, तो मुझे उनकी प्रार्थनाएँ अच्छी लगीं और मुझे उनके धर्म में दिलचस्पी हो गई। मैंने [अपने आप से] कहा, "ईश्वर की कसम, यह धर्म हमारे से बेहतर है।" ईश्वर की कसम, मैंने सूर्यास्त तक वही रहा। मैं अपने पिता की भूमि पर वापस नहीं गया।
मैंने पूछा [चर्च के लोग लोगो से]। "इस धर्म की उत्पत्ति कहाँ से हुई?"
"उन्होंने कहा, 'अल-शाम [4] में।'
मैं अपने पिता के पास लौटा, जो चिंतित हो गए थे और [किसी को] मुझे खोजने भेज दिया था। मेरे आने पर उन्होंने कहा, 'हे पुत्र! तुम कहां थे? क्या मैंने तुम्हें एक कार्य नहीं सौंपा था?
मैंने कहा, "मैं कुछ लोगों से उनके चर्च में प्रार्थना करते हुए मिला और मुझे उनका धर्म पसंद आया। ईश्वर की कसम, मैं सूर्यास्त तक उनके साथ था।”
मेरे पिता ने कहा, "मेरे बेटे! उस धर्म में कोई अच्छाई नहीं है। तुम्हारा और तुम्हारे पूर्वजों का धर्म बेहतर है।' ”
"नहीं, ईश्वर की कसम, यह हमारे धर्म से बेहतर है।"
उन्होंने मुझे धमकाया, मेरे पैरों में जंजीर डाल के अपने घर में कैद कर दिया। मैंने ईसाइयों को एक संदेश भेजकर उनसे अनुरोध किया कि वे मुझे अल-शाम से आने वाले किसी भी ईसाई व्यापार कारवां के आने की सूचना दें। एक व्यापार कारवां आया और उन्होंने मुझे सूचित किया, इसलिए मैंने [ईसाइयों] से कहा कि एक बार कारवां के लोग अपना व्यवसाय खत्म कर लें और अपने देश लौटने लगे तो मुझे बताएं। मुझे वास्तव में उनके द्वारा सूचित किया गया जब अल-शाम के लोग अपना व्यवसाय खत्म कर के, अपने देश को वापस जाने लगे, इसलिए मैंने अपने पैरों से जंजीरों को ढीला किया और कारवां के साथ हो लिया जब तक हम अल-शाम नहीं पहुंच गए।
वहां जाने पर मैंने पूछा, "तुम्हारे धर्म के लोगों में सबसे अच्छा कौन है?"
उन्होंने कहा, "बिशप। वह चर्च मे है।”
मैं उसके पास गया और कहा, "मुझे यह धर्म पसंद है, और मैं आपके साथ रहना और आपके चर्च में आपकी सेवा करना चाहता हूं, ताकि मैं आपसे सीख सकूं और आपके साथ प्रार्थना कर सकूं।"
उन्होने कहा, “तूम प्रवेश करके मेरे साथ रह सकते हो” सो मैं उनके साथ हो गया।
कुछ समय बाद, सलमान को बिशप के बारे में कुछ पता चला। वह एक बुरा आदमी था जिसने अपने लोगों को दान देने का आदेश दिया और प्रेरित किया, उसने धन को अपने पास रख लिया और गरीबों को नहीं दिया। उसने सोने और चाँदी के सात घड़े इकठ्ठा किए थे! सलमान ने जारी रखा:
मैंने उसके कामों के कारण उसका तिरस्कार किया।
वह [बिशप] मर गया। ईसाई उसे दफनाने के लिए एकत्र हुए। मैंने उन्हें बताया कि वह एक बुरा आदमी था जिसने लोगों को आदेश दिया और प्रेरित किया कि वो दान करें और उसने सब अपने लिए रखा और गरीबों को कुछ भी नहीं दिया। वे बोले, “यह तुम्हें कैसे मालूम?”
मैंने उत्तर दिया, "मैं तुम्हें उसका खजाना दिखा सकता हूँ।"
उन्होंने कहा, "हमें दिखाओ!"
मैंने उन्हें वह स्थान दिखाया [जहाँ उसने रखा था] और उन्होंने उसमें से सोने और चाँदी के सात घड़े बरामद किए। जब उन्होंने यह देखा तो उन्होंने कहा, "ईश्वर की कसम, हम उसे कभी दफन नहीं करेंगे।" इसलिए उन्होंने उसे सूली पर चढ़ा दिया और पत्थर से मारा।[5]
उन्होंने अपने बिशप को बदल दिया। मैंने उनमें से किसी को भी नहीं देखा जो नए बिशप से बेहतर प्रार्थना करता हो; और वह इस सांसारिक जीवन से विरक्त और परलोक से अधिक जुड़ा हुआ था, और वह दिन-रात काम करने के लिए प्रतिबद्ध था। मैं उससे बहुत अधिक प्यार करता था।
मैं उनकी मृत्यु से पहले कुछ समय उनके साथ रहा। जब उनकी मृत्यु निकट आई, तो मैंने उनसे कहा, "मैं तुम्हारे साथ रहा और मै तुमसे सबसे अधिक प्यार करता था। अब ईश्वर की आज्ञा [अर्थात् मृत्यु] आ गई है, तो तुम मुझे किस के पास रहने की सलाह देते हो, और मुझे क्या आज्ञा देते हो?”
बिशप ने कहा, "ईश्वर की कसम! लोग कुल नुकसान में हैं; वह बदल गए है और बदल दिया है [धर्म] वे जिस पर थे। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं जानता जो अभी भी उस धर्म का पालन करता है जिसे मैं मानता हूं, सिर्फ अल-मुसिल [6] में एक व्यक्ति को छोड़ के तो उसके साथ जुड़ जाओ [और उन्होंने मुझे उनका नाम दिया]।”
जब वह मर गए, तो सलमान अब अल-मुसिल चले गए और उस व्यक्ति से मिले जिसके बारे में उनको बताया गया था ...
मैंने उनसे कहा कि, "उस बिशप ने मरते समय मुझे आपके साथ शामिल होने के लिए कहा था। उन्होंने मुझसे कहा था कि आप उसकी तरह उसी [धर्म] का पालन करते हो। मैं उनके साथ रहा और देखा कि वह अपने धर्म को संभालने वाले सबसे अच्छा आदमी थे।
कुछ समय बाद ही उनकी भी मृत्यु हो गई। जब उनकी मृत्यु होने वाली थी, तो सलमान ने उनसे [जैसा कि उन्होंने पहले पूछा था] दूसरे व्यक्ति के बारे पूछा जो उसी धर्म का पालन करता हो।
उन्होंने कहा, "ईश्वर की कसम! मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं जानता जो हमारी तरह हो, सिर्फ नसीबीन [7] में एक व्यक्ति को छोड़ के और उनका नाम ये है, इसलिए वहां जाओ और उसके साथ जुड़ जाओ।”
उनकी मृत्यु के बाद, मैं नसीबीन के आदमी के पास गया।” सलमान ने उस आदमी को ढूंढ लिया और कुछ दिन उसके साथ रहे। ऐसी ही घटनाएं हुईं। मौत नजदीक आ गई और मरने से पहले सलमान उस शख्स के पास आए और उनसे सलाह मांगी कि कहां और किसके पास जाना है। उस आदमी ने सलमान को बताया कि अमुरिया [8] में उस व्यक्ति के साथ जुड़ जाओ जो उसी धर्म के थे।
अपने साथी की मौत के बाद सलमान अमुरिया चले गए। उन्होंने वह व्यक्ति खोजा और उनके धर्म में शामिल हो गए। सलमान ने उस समय काम किया और "कुछ गाय और एक भेड़ खरीद लिया।"
अमुरिया का व्यक्ति भी मरने वाला था। सलमान ने अपने अनुरोध दोहराए, लेकिन इस बार जवाब अलग था।
उस व्यक्ति ने कहा, “हे पुत्र! मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं जानता जो हमारे समान धर्म पर है। हालाँकि, आपके जीवनकाल में एक पैगंबर आएगा, और यह पैगंबर इब्राहीम के धर्म का पालन करेगा।”
उस व्यक्ति ने इस पैगंबर के बारे में बताते हुए कहा, "उन्हें उसी धर्म के साथ भेजा जायेगा जिस धर्म के साथ इब्राहीम भेजे गये थे। वह अरब देश मे जन्म लेंगे और काले पत्थरों [मानो आग से जल गया हो] से भरी दो भूमि के बीच में स्थित एक स्थान पर प्रवास करेंगे। इन दोनों भूमि के बीच में खजूर के पेड़ होंगे। उन्हें कुछ संकेतों से पहचाना जा सकता है। वह उस भोजन को स्वीकार करेंगे और उसमें से खाएंगे जो उपहार के रूप में दिया जायेग, दान के रूप मे से नहीं खाएगा। पैगंबरी की मुहर उनके कंधों के बीच होगी। यदि आप उस भूमि पर जा सकते हैं, तो जाएं।"
फुटनोट:
[1] अल-हैतामी ने इस कथन को मजमा अल-जवायद में एकत्र किया।
[2] इस्फ़हान: उत्तर पश्चिमी ईरान में एक क्षेत्र।
[3] उनके पिता एक मगीन थे जो आग की पूजा करते थे।
[4] अल-शाम: आज इसमें लेबनान, सीरिया, फिलिस्तीन और जॉर्डन के नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र शामिल हैं
[5] ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि एक व्यक्ति के कार्यों के कारण सलमान उस समय जो सच सोचते थे, उससे मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने यह नहीं कहा, "इन ईसाइयों को देखो! उनमें जो सबसे अच्छा है, वह बहुत बुरा है!" बल्कि, वह समझ गए थे कि उसे धर्म को उसके विश्वासों से आंकना है, न कि उसके अनुयायियों द्वारा।
[6] अल-मुसिल: उत्तर पश्चिमी इराक का एक प्रमुख शहर।
[7] नसीबीन : अल-मुसिल और अल-शाम के बीच सड़क पर बसा एक शहर।
[8] अमुरिया: एक शहर जो रोमन साम्राज्य के पूर्वी क्षेत्र का हिस्सा था।
सलमान अल-फारसी, पारसी, फारस (2 का भाग 2): ईसाई धर्म से इस्लाम तक
विवरण: सलमान की लंबी खोज अंत में बताये गए पैगंबर से मिलने के साथ समाप्त हुई, और स्वतंत्र होने के बाद उनके सबसे करीबी साथियों में से एक बन गए।
- द्वारा Salman the Persian
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
- मुद्रित: 0
- देखा गया: 6,253
- द्वारा रेटेड: 0
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
वह आदमी मर गया, और सलमान अमुरिया में रुके। एक दिन, "कल्ब [1] जनजाति के कुछ व्यापारी मेरे पास से गुजरे," सलमान ने कहा, "मैंने उनसे कहा, 'मुझे अरब ले जाओ और मैं तुम्हें अपनी गायें और एकमात्र भेड़ दे दूँगा।'" उन्होंने कहा, "ठीक है।" जो पेश किया सलमान उन्हें दे दिया, और वे उसे अपने साथ ले गए। जब वे वादी अल-क़ुरा [मदीना के करीब] पहुंचे, तो उन्होंने उसे एक यहूदी व्यक्ति के दास के रूप में बेच दिया। सलमान यहूदी के साथ रहे, और उन्होंने खजूर के पेड़ देखे [जैसा उनके पिछले साथी ने बताया था]।
"मुझे उम्मीद थी कि यह वही जगह होगी जिसका वर्णन मेरे साथी ने किया था।"
एक दिन, मदीना में बनी कुरैदा की यहूदी जनजाति से एक व्यक्ति, जो सलमान के मालिक का चचेरा भाई था, उससे मिलने आया। वह सलमान को उनके यहूदी मालिक से खरीद लिया।
“वह मुझे अपने साथ मदीना ले गया। ईश्वर की कसम! जब मैंने इसे देखा, तो मुझे पता था कि यह वही जगह है जिसका मेरे साथी ने वर्णन किया था।
फिर ईश्वर ने अपने दूत [यानी, मुहम्मद, ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे] को भेजा [2]। जब तक वह रह सकते थे वो मक्का में रहे। [3] मैंने उनके बारे में कुछ नहीं सुना क्योंकि मैं गुलामी के काम में बहुत व्यस्त था और फिर वह मदीना चले आये।
[एक दिन] मैं खजूर के एक पेड़ पर अपने मालिक के लिए कुछ काम कर रहा था। मेरे मालिक का एक चचेरा भाई आया और उसके सामने खड़ा हो गया [मेरा मालिक बैठा था] और कहा, "हाय बानी कीला [कीला जनजाति के लोग], वे किबा [4] में इकट्ठे हुए हैं" एक आदमी के आसपास जो आज मक्का से आया है और पैगंबर होने का दावा कर रहा है!"
उसकी बात सुनकर मैं इतना कांप उठा कि मुझे डर था कि कहीं मैं अपने मालिक पर न गिर जाऊं। मैंने उतर कर कहा, 'क्या कह रहे हो? तुम क्या कह रहे हो!?'
मेरे स्वामी क्रोधित हो गए और मुझे यह कहते हुए जोर से मुक्का मारा, “इस [मामले] में तुम्हारा क्या काम है? जाओ और अपने काम पर ध्यान दो।"
मैंने कहा, "कुछ नहीं! मैं बस यह सुनिश्चित करना चाहता था कि वह क्या कह रहा है।"
उस शाम जब मैं किबा में था, तब मैं ईश्वर के दूत से मिलने गया। मैं अपने साथ कुछ ले गया जिसे मैंने सहेजा था। मैं अंदर गया और कहा, "मुझे बताया गया था कि आप एक धर्मी आदमी हो और आपके साथी जो यहां अजनबी हैं, जरूरतमंद हैं। मैं आपको कुछ देना चाहता हूं जिसे मैंने दान के रूप में सहेजा है। मैंने पाया कि आप किसी और से ज्यादा इसके लायक हैं।"
मैंने उन्हें यह दिया; उन्होंने अपने साथियों से कहा, "खाओ," परन्तु उन्होंने अपना हाथ दूर रखा [अर्थात् खाया नहीं]। मैंने अपने आप से कहा, "यह पहला है [अर्थात, उनके पैगंबर होने की निशानियों में से एक]।"
पैगंबर (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) के साथ इस मुलाकात के बाद, सलमान एक और परीक्षा की तैयारी के लिए निकल पड़े! इस बार वह मदीना में पैगंबर के लिए एक उपहार लाये।
"मैंने देखा कि आप दान के रूप में दिए गए भोजन में से नहीं खाते हैं, इसलिए यह एक उपहार है जिससे मैं आपका सम्मान करना चाहता हूं।" पैगंबर ने उसमें से खाया और अपने साथियों को भी खाने का आदेश दिया, और उनके साथियो ने भी खाया। मैंने अपने आप से कहा, "अब दो हो गए [अर्थात्, पैगंबर होने की दो निशानियाँ] हैं।"
तीसरी मुलाकात के लिए, सलमान बकी-उल-घरकद [मदीना में एक कब्रगाह] गए, जहां पैगंबर (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) अपने एक साथी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। सलमान ने कहा:
मैंने उनका [इस्लाम के अभिवादन के साथ: 'आप पर शांति हो'] अभिवादन किया, और फिर उनकी पीठ की ओर मुड़कर [पैगंबर की] मुहर देखने की कोशिश की, जिसके बारे मे मेरे साथी ने मुझे बताया था। जब उन्होंने मुझे [ऐसा करते हुए] देखा, तो वह जानते थे कि मैं अपने बारे में बताई गई किसी बात की पुष्टि करने की कोशिश कर रहा हूं। उन्होंने अपनी पीठ से कपड़ा उतार दिया और मैंने मुहर की तरफ देखा। मैंने इसे पहचान लिया। मैं उस पर गिर पड़ा, उसे चूम कर रोने लगा। ईश्वर के दूत (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने मुझे एक तरफ आने के लिए कहा [यानी, बात करने के लिए]। मैंने इब्न अब्बास को अपनी कहानी सुनाई, [ध्यान दें कि सलमान अपनी कहानी इब्न अब्बास को बताते हैं]। सलमान को पैगंबर ने इतना पसंद किया कि वह चाहते थे कि मैं अपनी कहानी उनके साथी को सुनाऊ।
वह अभी भी अपने मालिक के दास थे। पैगंबर ने उससे कहा, "ऐ सलमान, अपनी आजादी के लिए [अपने मालिक के साथ] एक अनुबंध करो।" सलमान ने आज्ञा मानी और अपनी स्वतंत्रता के लिए [अपने मालिक के साथ] एक अनुबंध किया। उसने अपने मालिक के साथ एक समझौता किया जिसमें वह उसे चालीस औंस सोना देगा और तीन सौ नए खजूर के पेड़ लगाएगा और सफलतापूर्वक उगाएगा। पैगंबर ने तब अपने साथियों से कहा, "अपने भाई की मदद करो।"
उन्होंने पेड़ों से उसकी मदद की और उसके लिए निर्दिष्ट मात्रा में सोना इकट्ठा किया। पैगंबर ने सलमान को पौधे लगाने के लिए उचित गड्ढा खोदने का आदेश दिया, और फिर उन्होंने प्रत्येक को अपने हाथों से लगाया। सलमान ने कहा, "जिसके हाथ में मेरी आत्मा है [यानी ईश्वर] उसकी कसम, एक भी पेड़ नहीं मरा।"
सलमान ने पेड़ अपने मालिक को दिए। पैगंबर ने सलमान को सोने का एक टुकड़ा दिया जो एक मुर्गी के अंडे के आकार का था और कहा, "ऐ सलमान, इसे ले लो और अपने मालिक का भुगतान करो।"
सलमान ने कहा, "यह कितना है, मेरे ऊपर कितना बकाया है!"
पैगंबर ने कहा, "इसे ले लो! ईश्वर [इसे] बराबर करेगा जो आप पर बकाया है। ”[5]
मैंने इसे लिया और मैंने इसके एक हिस्से का वजन किया और यह चालीस औंस था। सलमान ने सोना अपने मालिक को दिया। उसने समझौते को पूरा किया और उसे छोड़ दिया गया।
तब से, सलमान पैगंबर के सबसे करीबी साथियों में से एक बन गए।
सत्य की खोज
पैगंबर के महान साथियों में से एक अबू हुरैरा ने बताया:
“हम ईश्वर के दूत की संगति में बैठे थे जब सूरह अल-जुमाअ (सूरह 62) का खुलासा हुआ। उन्होंने इन शब्दों का पाठ किया:
“और [ईश्वर ने मुहम्मद को भी भेजा है] जो अभी तक उनके साथ नहीं आए हैं (लेकिन वे आएंगे) ...” (क़ुरान 62:3)
उनमें से एक व्यक्ति ने कहा, 'हे ईश्वर के दूत! वे कौन हैं जो हमसे नहीं जुड़े हैं?'
ईश्वर के दूत ने कोई उत्तर नहीं दिया। सलमान फारसी हमारे बीच थे। ईश्वर के दूत ने सलमान पर हाथ रखा और कहा, ‘जिसके हाथों में मेरी आत्मा है उसकी शपथ, भले ही विश्वास प्लीएड्स (सात सितारे) के पास हो, इनमें से कुछ लोग [यानी, सलमान के साथी] उसे जरूर पा लेंगे।” (अत-तिर्मिज़ी)
इस दुनिया में बहुत से लोग सलमान की तरह हैं, जो सच्चे और केवल एक ईश्वर के बारे में सच्चाई की तलाश में हैं। सलमान की यह कहानी हमारे समय के लोगों की कहानियों से मिलती जुलती है। कुछ लोगों की खोज उन्हें एक चर्च से दूसरे चर्च, चर्च से बौद्ध धर्म या निष्क्रियता, यहूदी धर्म से 'तटस्थता', धर्म से ध्यान से मानसिक शोषण तक ले गई। ऐसे लोग हैं जो एक विचार से दूसरे विचार में चले गए, लेकिन इस्लाम के बारे में कुछ जानने की इच्छा भी नहीं रखते थे! हालाँकि, जब वे कुछ मुसलमानों से मिले, तो उन्होंने अपना दिमाग खोला। सलमान की कहानी एक लंबी खोज की कहानी है। आप उसका लाभ उठाकर सत्य की अपनी खोज को छोटा कर सकते हैं।
टिप्पणी करें