बड़े प्रश्नो (भाग 3 का 3): रहस्योद्घाटन की आवश्यकता

रेटिंग:
फ़ॉन्ट का आकार:
A- A A+

विवरण: जीवन में कुछ "बड़े प्रश्न" जो सभी मनुष्य अनिवार्य रूप से पूछते हैं, उनमे से से पहले के इस्लामी उत्तर, हम हमारे निर्माता की कैसे सेवा करे?

  • द्वारा Laurence B.  Brown, MD
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
  • मुद्रित: 0
  • देखा गया: 6,419 (दैनिक औसत: 6)
  • रेटिंग: अभी तक नहीं
  • द्वारा रेटेड: 0
  • ईमेल किया गया: 0
  • पर टिप्पणी की है: 0
खराब श्रेष्ठ

The_Big_Questions_(part_3_of_3)_001.jpgइस श्रृंखला के पिछले दो भागों में, हमने दो "बड़े प्रश्नों" के उत्तर दिए। हमें किसने बनाया? ईश्वर। हम यहां क्यों आए हैं? उनकी सेवा और उपासना करने के लिए. एक तीसरा प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठा: "यदि हमारे सृष्टिकर्ता ने हमें उनकी सेवा करने और उनकी आराधना करने के लिए बनाया है, तो हम यह कैसे करे?" पिछले लेख में मैंने सुझाव दिया था कि हम अपने सृष्टिकर्ता की सेवा केवल उसके आदेशों का पालन करने के माध्यम से कर सकते हैं, जैसा कि रहस्योद्घाटन के माध्यम से व्यक्त किया गया है।

लेकिन बहुत से लोग मेरे इस दावे पर प्रश्न उठाएंगे: मानव जाति को रहस्योद्घाटन की आवश्यकता क्यों है? क्या सिर्फ अच्छा होना ही काफी नहीं है? क्या हम में सब के लिए अपने तरीके से ईश्वर की आराधना करना पर्याप्त नहीं है?

रहस्योद्घाटन की आवश्यकता के संबंध में, मैं निम्नलिखित बातें कहना चाहूंगा: इस श्रृंखला के पहले लेख में मैंने बताया कि जीवन अन्याय से भरा है, लेकिन हमारा सृष्टिकर्ता सही और न्यायी है और वह न्याय को इस जीवन में नहीं परन्तु परलोक में स्थापित करते है। हालांकि, चार चीजों के बिना न्याय स्थापित नहीं किया जा सकता है—एक अदालत (जो है, आखरी विचार का दिन); एक विचारपति (जो हैं, निर्माता); साक्षियाँ (जो है, पुरुष और महिलाएं, देवदूत, सृष्टि के तत्व); और कानूनों की एक किताब जिस पर न्याय करना है (जो है, रहस्योद्घाटन)। अब, हमारे सृष्टिकर्ता न्याय कैसे स्थापित कर सकते है यदी उन्होंने मानवजाति को उनके जीवन काल के दौरान कुछ नियमों से नहीं बांधा है? यह संभव नहीं है। उस परिदृश्य में, न्याय के बजाय, ईश्वर अन्याय से निपटेंगे, क्योंकि वह लोगों को उन अपराधों के लिए दंडित कर रहे होंगे जिनके बारे में उनके पास जानने का कोई तरीका नहीं था कि वे अपराध हैं।

हमें और रहस्योद्घाटन की आवश्यकता क्यों है? आरंभ में, मार्गदर्शन के बिना मानव जाति सामाजिक और आर्थिक मुद्दों, राजनीति, कानूनों आदि पर सहमत भी नहीं हो सकती है। तो हम कभी भी ईश्वर पर कैसे सहमत हो सकते हैं? दूसरी बात, कोई भी उपयोगकर्ता मैनुअल को उत्पाद बनाने वाले से बेहतर नहीं लिखता है। ईश्वर सृष्टिकर्ता है, हम सृष्टि हैं, और सृष्टि की समग्र योजना को सृष्टिकर्ता से बेहतर कोई नहीं जानता। क्या कर्मचारियों को अपने स्वयं के नौकरी विवरण, कर्तव्यों और मुआवजे के पैकेजों को अपने सुबिधा अनुसार परिकल्पना करने की अनुमति है? क्या हम नागरिकों को अपने स्वयं के कानून लिखने की अनुमति है? नहीं? तो फिर, हमें अपने धर्म लिखने की अनुमति क्यों दी जाए? अगर इतिहास ने हमें कुछ भी सिखाया है,वो है दुःखद घटनाये जो मनुष्य की अपनी सनक को पूरी करने के कारण होता है। कितने लोगों ने स्वतंत्र विचार का दावा किया है, उन्होंने ऐसे धर्मों का उद्घाटन किया है जिन्होंने खुद को और अपने अनुयायियों को पृथ्वी पर बुरे सपने और उसके बाद के विनाश के लिए प्रतिबद्ध किया है?

तो सिर्फ अच्छा होना ही काफी क्यों नहीं है? और हम में से प्रत्येक के लिए अपने तरीके से ईश्वर की आराधना करना पर्याप्त क्यों नहीं है? आरंभ करने के लिए, लोगों की "अच्छे" की परिभाषाएँ भिन्न होती हैं। कुछ के लिए यह उच्च नैतिकता और स्वच्छ जीवन है, दूसरों के लिए यह पागलपन और तबाही है। इसी तरह, हमारे सृष्टिकर्ता की सेवा और उसकी आराधना करने की अवधारणाएँ भी भिन्न हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी दुकान या भोजनालय में व्यापारी द्वारा स्वीकार की गई मुद्रा से भिन्न मुद्रा के साथ नहीं जा सकता। धर्म के साथ भी ऐसा ही है। अगर लोग चाहते हैं कि ईश्वर उनकी सेबा और उपासना को स्वीकार करें, तो उन्हें ईश्वर की मांग के अनुसार मुद्रा में भुगतान करना होगा। और वह मुद्रा उसके रहस्योद्घाटन की आज्ञाकारिता है।

एक ऐसे घर में बच्चों की परवरिश करने की कल्पना करें जिसमें आपने "घर के नियम" स्थापित किए हैं। फिर, एक दिन, आपका एक बच्चा आपको बताता है कि उसने नियम बदल दिए हैं, और वह चीजों को अलग तरह से करने जा रहा है। आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे? संभावना है, इन शब्दों के साथ, "तुम अपने नए नियम ले सकते हो और नरक में जा सकते हो!" अच्छा, इसके बारे में सोचिये। हम ईश्वर की रचना हैं, उसके नियमों के तहत उसके ब्रह्मांड में रह रहे हैं, और संभावना है की "नरक में जाओ" ही ईश्वर बोलेंगे उन लोगो को जो ईश्वर के नियमों को अपने नियमों से अवहेलना करने की कोशिस करेंगे।

यहां पर ईमानदारी एक मुद्दा बन जाती है। हमें यह पहचानना चाहिए कि सभी सुख हमारे निर्माता की ओर से एक उपहार है, और धन्यवाद के योग्य हैं। यदि कोई उपहार दिया जाता है, तो धन्यवाद देने से पहले उपहार को उपभोग कौन करता है? और फिर भी, हम में से बहुत से लोग जीवन भर ईश्वर के उपहारों का आनंद लेते हैं और कभी भी धन्यवाद नहीं देते हैं। या देर से देते हैं। अंग्रेजी कवि, एलिजाबेथ बैरेट ब्राउनिंग ने व्यथित मानव मिनती की विडंबना की बात की द क्राई ऑफ़ द हुमन किताब में :

और होंठ कहते हैं "ईश्वर दयनीय हो,"

किसने कभी नहीं कहा, "ईश्वर की स्तुति हो।"

क्या हमें अच्छे आचरण नहीं दिखाना चाहिए और अपने सृष्टिकर्ता को उसके उपहारों के लिए धन्यवाद नहीं देना चाहिए, हमारे जीवन अन्त तक? क्या हम उनके ऋणी नहीं हैं?

आपने उत्तर दिया "हाँ।" ज़रूर दिए होंगे। सहमति के बिना किसी ने इसे अब तक नहीं पढ़ा होगा, लेकिन समस्या यह है: आप में से बहुतों ने उत्तर दिया "हाँ,” यह अच्छे से जानकर की आपका दिल और दिमाग आपके प्रदर्शन के धर्मों से पूरी तरह सहमत नहीं है। आप सहमत हैं कि हम एक निर्माता द्वारा बनाए गए थे। आप उसे समझने के लिए संघर्ष करते हैं। और आप तरसते हैं उसके द्वारा निर्धारित तरीके से उनकी सेवा और उनकी आराधना करने के लिए । लेकिन आप नहीं जानते कि कैसे, और आप नहीं जानते कि उत्तर कहां देखना है। और वह, दुर्भाग्य से, एक ऐसा विषय नहीं है जिसका उत्तर किसी लेख में दिया जा सकता है। दुर्भाग्य से, इसे एक किताब में संबोधित करना होगा, या शायद किताबों की एक श्रृंखला में भी।

अच्छी खबर यह है कि मैंने ये किताबें लिखी हैं। मैं आपको ऐटथ स्क्रॉल के साथ शुरुआत करने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैंने जो यहां लिखा है अगर आपको वह पसंद आया है, तो मैंने वहां जो लिखा है वह आपको बहुत पसंद आएगा।

कॉपीराइट © 2007 डॉ लॉरेंस बी. ब्राउन; अनुमति द्वारा ब्यबहृत।

डॉ. ब्राउन द ऐटथ स्क्रॉल के लेखक हैं, जिसके बारेमे उत्तरी कैरोलिना राज्य सीनेट सदस्य लैरी शॉ ने कहा हे, “इंडिआना जोंस की मुलाकात हुई द डा विन्ची कोड से। द ऐटथ स्क्रॉल एक साँस रोकदेने वाली, उत्तेजक, न रख सकने वाला रहस्य जो मानवता, इतिहास और धर्म के पश्चिमी विचारों को चुनौती देता है। अपनी कक्षा की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक!” डॉ. ब्राउन तुलनात्मक धर्म की तीन शैक्षिक पुस्तकों के लेखक भी हैं, मिसगोडेड, गोडेड, और बेअरिंग ट्रू विटनेस (दार-उस-सलाम)। उनकी किताबें और लेख उनकी वेबसाइटों पर देखे जा सकते हैं, www.EighthScroll.com और www.LevelTruth.com, और www.Amazon.com के माध्यम से खरीदने के लिए उपलब्ध हैं।

खराब श्रेष्ठ

इस लेख के भाग

सभी भागो को एक साथ देखें

टिप्पणी करें

  • (जनता को नहीं दिखाया गया)

  • आपकी टिप्पणी की समीक्षा की जाएगी और 24 घंटे के अंदर इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए।

    तारांकित (*) स्थान भरना आवश्यक है।

इसी श्रेणी के अन्य लेख

सर्वाधिक देखा गया

प्रतिदिन
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
कुल
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

संपादक की पसंद

(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सूची सामग्री

आपके अंतिम बार देखने के बाद से
यह सूची अभी खाली है।
सभी तिथि अनुसार
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सबसे लोकप्रिय

सर्वाधिक रेटिंग दिया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
सर्वाधिक ईमेल किया गया
सर्वाधिक प्रिंट किया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
इस पर सर्वाधिक टिप्पणी की गई
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

आपका पसंदीदा

आपकी पसंदीदा सूची खाली है। आप लेख टूल का उपयोग करके इस सूची में लेख डाल सकते हैं।

आपका इतिहास

आपकी इतिहास सूची खाली है।

Minimize chat