विक्का (भाग 2 का 2): डिफ़ॉल्ट रूप से बुराई

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विवरण: इस्लाम और विक्का - क्या वे किसी भी तरह से एक जैसे लगते हैं?

  • द्वारा Aisha Stacey (© 2012 IslamReligion.com)
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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Wicca2.jpgजब कोई व्यक्ति यह सोचता है कि विक्का और शैतानवाद के बीच ज़मीन-आसमान का फ़र्क है, फिर यह सोचना आसान हो जाता है कि विक्का एक हानिरहित धर्म है। यह भी प्रतीत हो सकता है कि 21वीं सदी में विक्का धर्म केवल सुसंगत भावनाओं और प्राचीन प्रकृति-आधारित धर्मों को पर्यावरणवाद के रूप में परिवर्तित करने से थोड़ा अधिक है। हालांकि, यह हकीकत नहीं है। मायावी शक्तियों से गंभीरता से या मस्ती में निपटना एक खतरनाक काम है। मानव जाति की नियति को नियंत्रित करने वाली रेखाओं को धुंधला होने देना जोखिम भरा है, यहां तक ​​कि खतरनाक भी है। बहरहाल यह साफ़-साफ़ प्रतीत होता है कि विक्का धर्म के ज़्यादातर अनुयायी न तो इस पर यक़ीन करते हैं और न ही जानबूझकर शैतान के साथ काम करते हैं, इस्लामी राय यह है कि विक्का धर्म शैतान से बहुत अधिक प्रभावित है, चाहे विक्का धर्म को मानने वाले लोग ऐसा चाहते हों या न चाहते हों।

सबसे पहले आइए हम इस्लाम के सबसे बुनियादी सिद्धांतों में से एक को लागू करके देखते हैं। आस्था के स्तंभों में से एक जिस पर हर मुसलमान यकीन रखता है वो है क़द्र, या दैवीय नियति। हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है, जिसे हम अच्छा या बुरा समझते हैं, वह हमारे अस्तित्व में आने से बहुत पहले से ही ईश्वर के आदेश का हिस्सा है। ईश्वर की इजाज़त के बिना कुछ नहीं होता, यहां तक कि पेड़ से गिरने वाला पत्ता या खिड़की के शीशे पर गिरने वाली बारिश की बूंद भी नहीं। इसलिए, यह सोचना कि कोई व्यक्ति या कुछ जादुई शब्द बोलने, अच्छे को बुरे में बदलने या मनचाहा परिणाम लाने में सक्षम है, तो ये काफी बेतुकी बात होगी। ईश्वर के सिवा किसी और चीज़ में अपनी आस्था रखना बेकार है, और इतना ही नहीं, एक मुसलमान के लिए यह ख़तरनाक है।

ईश्वर का कोई साथी है या फिर कुछ ऐसे लोग हैं जो दूसरों की तुलना में ईश्वर के ज़्यादा करीब हैं, ऐसी बातों पर भरोसा करना एक बड़ा पाप है, और शैतान लोगों को ईश्वर से दूर ले जाने और विनाश के मार्ग पर ले जाने के अलावा और कुछ नहीं चाहता है। विक्का धर्म में इसी बात का खतरा है। जो लोग विक्का को एक धर्म मानते हैं, उनका कहना है कि मंत्र का जप करना केवल दैवीय सहायता मांगने से थोड़ा अधिक है। फिर भी ईश्वर ने अपनी रचना के प्रति अपने प्रेम के कारण हमें क़ुरआन और प्रामाणिक सुन्नत (पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाएं) प्रदान की हैं, जिससे हम दैवीय सहायता मांगने का सही तरीका सीखते हैं। घंटियों, मोमबत्तियों, झाड़ू, कड़ाही, छड़ी, या अन्य विक्कन सामग्री की सहायता से दैवीय सहायता नहीं हासिल हो सकती है। एक इंसान को ईश्वर पर भरोसा करके उनसे अकेले सहायता मांगनी चाहिए। ईश्वर ही वह है जो आशीर्वाद देता है या बुराई को दूर करता है और संकट से छुटकारा दिलाता है।

“कहो कि ईश्वर के अतिरिक्त, आकाशों और धरती में कोई परोक्ष का ज्ञान नहीं रखता और वह नहीं जानते कि वह कब उठाये जायेंगे।”(क़ुरआन 27: 65)

जादू टोना करना, किस्मत बताना और अलौकिक भविष्यवाणियां करना इंसानों को उनके विनाश की ओर ले जाने के लिए बनाई गई शैतान की चाल से ज़्यादा और कुछ नहीं है। हालांकि यह जान लेने के बाद कि जादू के अस्तित्व की पुष्टि क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की बताई बातों से होती है। यह एक हकीकत और एक सच्चाई है। लोगों को यह भरोसा दिलाना धोखा है कि बुराई की ताकतों के साथ खेलने में कोई नुकसान नहीं है। भले ही मामला घातक न हो, लेकिन जादू किसी भी रूप में एक व्यक्ति को ईश्वर से दूर कर देता है। जादू एक कला है जिसमें कौशल और दक्षता की आवश्यकता होती है, और यह एक प्रकार का ज्ञान है जिसका एक नींव, कार्यप्रणाली और सिद्धांत होता है। इस्लाम में इसे सीखना जायज़ नहीं है। जादू टोना और उस जैसी अन्य गतिविधि जैसे कि टैरो कार्ड, चाय की पत्ती और कुंडली देखकर भविष्य बताना मुसलमानों के लिए मना है।

“जो कोई ज्योतिषी के पास जाता है और उससे कुछ भी पूछता है, उसकी प्रार्थना चालीस दिनों तक क़बूल नहीं की जाएगी।”[1]

यह हालात की गंभीरता के बारे में बहुत कुछ बताता है और कुछ देशों में जादू और जादू के इस्तेमाल से मूर्ख बनाना भी कानून के तहत दंडनीय अपराध है।

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात हवाई अड्डे पर दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। उनके पास से मिले सामानों में, 28 श्रेणियों में वर्गीकृत, 1200 अवैध वस्तुएं पाई गईं, इनमें जादुई मंत्र और अनुष्ठान वाले ग्रंथ, तावीज़, जानवरों की खाल और हड्डियां, रक्त और अन्य तरल पदार्थ रखने वाले कंटेनर, तार और अजीब से छल्ले शामिल थे। वहां के सीमा शुल्क निदेशक ने बताया कि लोगों के भोलेपन का फ़ायदा अक्सर धोखाधड़ी करके उठाया जाता था। यह एक और कारण है कि विक्का को इस्लाम द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता, चाहे उसे एक धर्म के रूप में अपनाया जाए या न अपनाया जाए।

जो लोग आपको यह बताने में सक्षम होने का दावा करते हैं कि भविष्य में क्या होगा, वे ज़्यादातर अपने व्यक्तित्व, हाव-भाव आदि के ज्ञान के आधार पर झूठी भविष्यवाणियां कर रहे होते हैं। बहरहाल, इंसानों की एक और श्रेणी है जो असल में जिन्न और मानव जाति दोनों से शैतान और उसके चापलूस लोगों से निपटती है। ये लोग बुराई में लिपटे हुए होते हैं चाहे उन्हें इसका एहसास हो या न हो और दुख की बात है कि ऐसे लोगों के द्वारा काफ़ी नुकसान किया जा सकता है जो सोचते हैं कि वे अच्छा काम कर रहे हैं या एक हानिरहित चीज़ों में शामिल हैं।

एक प्रकार का जादू है जिसका मकसद घृणा या प्रेम पैदा करना होता है। इसे किसी व्यक्ति पर गांठ बांधकर, फूंक मारकर और औषधि का उपयोग करके अंजाम दिया जाता है। यह जादू एक आदमी को अपनी पत्नी से प्यार या नफरत करने में, या एक महिला अपने पति से प्यार या नफरत करने में सक्षम बनाता है। यह किसी व्यक्ति के अपने पति या पत्नी के अलावा अन्य लोगों के साथ संबंध बनाने के लिए भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए ईश्वर ने हमें हुक्म दिया है कि हम बंधे गांठ पर फूंक मारने वालों की बुराई से बचने के लिए उनके पास शरण लें, और साथ ही हर तरह की बुराई से बचने के लिए केवल उन्हीं की शरण लें।

कहो: “मैं शरण मांगता हूं सुबह के पालनहार की। हर चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की। और अंधकार की बुराई से जबकि वह छा जाये। और गाठों में फूंक मारने वालों की बुराई से। और ईष्र्यालु की बुराई से, जबकि वह ईष्र्या करे।” (क़ुरआन 113)

अंत में, प्राचीन मूर्तिपूजा की आस्था प्रणालियों में ऐसी ही चीज़ें शामिल हैं, प्राचीन मूर्तिपूजा की आस्था प्रणाली में यही सब होते हैं। हजारों साल पुरानी मान्यताओं को फिर से उभारने की ज़रुरत नहीं है। ईश्वर ने हमें पूरी मानव जाति के एक सही धर्म (यानि इस्लाम) दे दिया है और इसके अंदर दरअसल सारे जवाब मौजूद हैं। विक्का कई लोगों को एक शांतिपूर्ण सुखदायक धर्म ज़रूर प्रतीत हो सकता है लेकिन असल शांति ईश्वर के हुक्म का पालन करने और ईश्वर द्वारा आपके लिए पूर्व निर्धारित जीवन जीने में ही निहित है।



फुटनोट:

[1] सहीह मुस्लिम

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