ईश्वर की दिव्य दया (3 का भाग 3): पापी

रेटिंग:
फ़ॉन्ट का आकार:
A- A A+

विवरण: कैसे ईश्वर की दया पाप करने वालो को घेर लेती है।

  • द्वारा Imam Mufti
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
  • मुद्रित: 0
  • देखा गया: 7,134 (दैनिक औसत: 7)
  • रेटिंग: अभी तक नहीं
  • द्वारा रेटेड: 0
  • ईमेल किया गया: 0
  • पर टिप्पणी की है: 0
खराब श्रेष्ठ

The_Divine_Mercy_of_God_(part_3_of_3)_001.jpgईश्वर की दया हम सभी के बहुत करीब होती है, और हम जैसे ही तैयार होते हैं, ये हमे गले लगा लेती है। इस्लाम मनुष्य की पाप करने की प्रवृत्ति को जनता है, क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को कमजोर बनाया है। पैगंबर ने कहा:

"आदम के सभी बच्चे लगातार गलती करते हैं ..."

इसके साथ ही ईश्वर हमें बताता है कि वह पापों को क्षमा करता है। इसी हदीस मे आगे:

"... लेकिन जो लगातार गलती करते हैं उनमें से सबसे अच्छे वे हैं जो लगातार पश्चाताप करते हैं।" (अल-तिर्मिज़ी, इब्न माजा, अहमद, हकीम)

ईश्वर कहता है:

"आप कह दें मेरे उन भक्तों से, जिन्होंने अपने ऊपर अत्याचार किये हैं कि तुम निराश न हो ईश्वर की दया से। वास्तव में, ईश्वर क्षमा कर देता है सब पापों को। निश्चय ही वह क्षमा करने वाला, सबसे दयालु है।" (क़ुरआन 39:53)

दया के पैगंबर मुहम्मद सभी लोगों को खुशखबरी देते थे:

"मेरे सेवकों से कह दो कि मैं वास्तव में क्षमा करने वाला, परम दयालु हूं।" (क़ुरआन 15:49)

पश्चाताप ईश्वरीय दया को आकर्षित करता है:

"... क्यों तुम क्षमा नहीं मांगते ईश्वर से, ताकि तुम पर दया की जाये? (क़ुरआन 27:46)

"... ईश्वर की दया हमेशा सदाचारियों के करीब है!" (क़ुरआन 7:56)

प्राचीन काल से ही ईश्वर की दया ने विश्वासियों को सजा से बचाया है:

"और जब हमारा आदेश आ गया, तो हमने हूद को और जो उसके विश्वास के साथ थे उनको अपनी दया से बचा लिया... (क़ुरआन 11:58)

"और जब हमारा आदेश आ गया, तो हमने शोऐब को और जो उसके विश्वास के साथ थे उनको अपनी दया से बचा लिया... (क़ुरआन 11:94)

पापी के प्रति ईश्वर की दया की परिपूर्णता निम्नलिखित में देखी जा सकती है:

1. ईश्वर पश्चाताप को स्वीकार करता है

"और ईश्वर चाहता है कि तुम पर दया करे तथा जो लोग वासनाओं के पीछे पड़े हुए हैं, वे चाहते हैं कि तुम बहुत अधिक झुक जाओ।" (क़ुरआन 4:27)

"क्या वे नहीं जानते कि ईश्वर ही अपने भक्तों की क्षमा स्वीकार करता है और उनके दानों को स्वीकार करता है और वास्तव में, ईश्वर क्षमा करने वाला, सबसे दयालु है।" (क़ुरआन 9:104)

2. ईश्वर उस पापी को पसंद करता है जो पश्चाताप करता है

"... क्योंकि ईश्वर उनको पसंद करता है जो निरन्तर पश्चाताप करते हैं...।" (क़ुरआन 2:22)

पैगंबर ने कहा:

"यदि मनुष्य पाप नहीं करता, तो ईश्वर अन्य प्राणियों की रचना करता जो पाप करते, और वह उन्हें क्षमा करता, क्योंकि वह क्षमाशील, अति-दयालु है।" (अल-तिर्मिज़ी, इब्न माजा, मुसनद अहमद)

3. ईश्वर प्रसन्न होता है जब कोई पापी पश्चाताप करता है, क्योंकि उसे समझ होती है कि एक ईश्वर है जो पापों को क्षमा करता है!

पैगंबर ने कहा:

"जब कोई पश्चाताप करता है तो ईश्वर अपने दास के पश्चाताप से इतना प्रसन्न होता है जितना तुम में से कोई नहीं हो सकता, उस ऊंट के वापस मिलने से जिस पर वह एक बंजर रेगिस्तान में सवार था, और ऊंट उसके खाने-पीने की चीजों को लेकर भाग गया था। जब वह निराश हो जाता है, तो एक पेड़ की छाया में लेट जाता है, और जब वह निराश होता है, तो ऊंट आ जाता है और उसके पास खड़ा हो जाता है, और वह उसकी लगाम को पकड़ के खुशी से चिल्लाता है, 'हे ईश्वर, तुम मेरे दास हो और मैं तुम्हारा पालनहार!' - उसने शब्दों की ये गलती अपनी अत्यधिक ख़ुशी के कारण की" (सहीह मुस्लिम)

4. पश्चाताप का द्वार हर समय खुला है

ईश्वरीय दया का द्वार वर्ष के हर दिन और हर रात खुला है। पैगंबर ने कहा:

"दिन में पाप करने वाले के पश्चाताप को स्वीकार करने के लिए ईश्वर रात में अपना हाथ बढ़ाता है, और रात में पाप करने वाले के पश्चाताप को स्वीकार करने के लिए ईश्वर दिन में अपना हाथ बढ़ाता है - सूरज के पश्चिम से निकलने के दिन तक जो न्याय के दिन के प्रमुख संकेतों में से एक है।" (सहीह मुस्लिम)

5. बार-बार पाप करने पर भी ईश्वर पश्चाताप स्वीकार करता है

ईश्वर पापी के प्रति बार-बार अपनी दया दिखाता है। सोने के बछड़े का पाप किए जाने से पहले इजराइल के बच्चों के प्रति ईश्वर की दया देखी जा सकती है, ईश्वर ने इजराइल के साथ अपनी दया के अनुसार व्यवहार किया, उनके पाप करने के बाद भी ईश्वर ने साथ दया की। अर-रहमान कहता है:

"... और जब हमने मूसा को (तौरात देने के लिए) चालीस रात्रि का वचन दिया, फिर उनके पीछे तुमने बछड़े को पूजना शुरू कर दिया और तुम पापी बन गए। हमने इसके बाद भी तुम्हें क्षमा कर दिया, ताकि तुम कृतज्ञ बनो।“ (क़ुरआन 2:51-52)

पैगंबर ने कहा:

"एक आदमी ने पाप किया और फिर कहा, 'हे मेरे ईश्वर, मेरे पाप को क्षमा कर दे,' तो ईश्वर ने कहा, 'मेरे दास ने पाप किया, तब उसे एहसास हुआ कि उसका एक ईश्वर है जो पापों को क्षमा कर सकता है और उसे इसके लिए दंडित कर सकता है।' उस आदमी ने फिर से पाप किया, और फिर कहा, 'हे मेरे ईश्वर, मेरे पाप को क्षमा कर दे।' ईश्वर ने कहा, 'मेरे दास ने पाप किया, तब उसे एहसास हुआ कि उसका एक ईश्वर है जो पापों को क्षमा कर सकता है और उसे इसके लिए दंडित कर सकता है।' आदमी ने फिर पाप किया (तीसरी बार), फिर उसने कहा, 'हे मेरे ईश्वर, मेरे पाप को क्षमा कर दे,' और ईश्वर ने कहा, 'मेरे दास ने पाप किया है, तब उसे एहसास हुआ कि उसका एक ईश्वर है जो पापों को क्षमा कर सकता है और उसे इसके लिए दंडित कर सकता है। जो तुम चाहो करो, क्योंकि मैंने तुम्हें माफ कर दिया है।'" (सहीह मुस्लिम)

6. इस्लाम अपनाने से पिछले सभी पाप मिट जाते हैं

पैगंबर ने बताया कि इस्लाम को स्वीकार करने से नए मुसलमान के सभी पिछले पाप मिट जाते हैं, चाहे वे कितने भी गंभीर क्यों न हों, बस एक शर्त है: नया मुसलमान इस्लाम को पूरी तरह से ईश्वर के लिए स्वीकार करे। कुछ लोगों ने ईश्वर के पैगंबर से पूछा, 'ऐ ईश्वर के पैगंबर! इस्लाम अपनाने से पहले अज्ञानता के दिनों में हमने जो किया उसके लिए क्या हम दंडित होंगे?' उन्होंने जवाब दिया:

"जो कोई इस्लाम पूरी तरह से ईश्वर के लिए स्वीकार करता है उसे दंडित नहीं किया जाएगा, लेकिन जो किसी अन्य कारण से ऐसा करता है, वह इस्लाम से पहले और बाद के सभी कार्यो के लिए जवाबदेह होगा।" (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)

यद्यपि ईश्वर की दया किसी भी पाप को माफ़ करने के लिए पर्याप्त है, यह मनुष्य को सही व्यवहार करने की अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करती है। मोक्ष के मार्ग में अनुशासन और परिश्रम की आवश्यकता है। इस्लाम में मोक्ष का नियम केवल ईश्वर में विश्वास करना नहीं, बल्कि आस्था और इस्लाम के कानून का पालन करना भी है। हम अपूर्ण और कमजोर हैं और ईश्वर ने हमें इसी तरह बनाया है। जब हम पवित्र कानून का पालन करने में चूक जाते हैं, तो प्रेम करने वाला ईश्वर हमें क्षमा करने के लिए तैयार रहता है। क्षमा केवल ईश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार करने, फिर से पाप न करने का दृढ़ इरादा करने और उनकी दया की याचना करने से मिलती है। लेकिन हमेशा याद रखना चाहिए कि स्वर्ग सिर्फ कर्मों से नहीं मिलेगा, ईश्वरीय कृपा से मिलेगा। दया के पैगंबर ने इस तथ्य को स्पष्ट किया:

"तुम में से कोई भी सिर्फ अपने कर्मों से स्वर्ग मे नही जायेगा। उन्होंने पूछा, 'हे ईश्वर के दूत, आप भी नहीं?' उन्होंने कहा, 'मै भी नहीं, जब तक कि ईश्वर मुझे अपनी कृपा और दया से ढक न दें।" (सहीह मुस्लिम)

ईश्वर में विश्वास, उसके कानून का पालन करना, और अच्छे कार्य करना स्वर्ग में जाने के कारण है, कीमत नही।

खराब श्रेष्ठ

इस लेख के भाग

सभी भागो को एक साथ देखें

टिप्पणी करें

  • (जनता को नहीं दिखाया गया)

  • आपकी टिप्पणी की समीक्षा की जाएगी और 24 घंटे के अंदर इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए।

    तारांकित (*) स्थान भरना आवश्यक है।

इसी श्रेणी के अन्य लेख

सर्वाधिक देखा गया

प्रतिदिन
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
कुल
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

संपादक की पसंद

(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सूची सामग्री

आपके अंतिम बार देखने के बाद से
यह सूची अभी खाली है।
सभी तिथि अनुसार
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सबसे लोकप्रिय

सर्वाधिक रेटिंग दिया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
सर्वाधिक ईमेल किया गया
सर्वाधिक प्रिंट किया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
इस पर सर्वाधिक टिप्पणी की गई
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

आपका पसंदीदा

आपकी पसंदीदा सूची खाली है। आप लेख टूल का उपयोग करके इस सूची में लेख डाल सकते हैं।

आपका इतिहास

आपकी इतिहास सूची खाली है।

Minimize chat