क्या हम अकेले हैं? (3 का भाग 3): जिन्न हमारे बीच मौजूद हैं, लेकिन हमसे अलग हैं।

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विवरण: जिन्न कहां रहते हैं और उनसे अपनी रक्षा कैसे करें

  • द्वारा Aisha Stacey (© 2011 IslamReligion.com)
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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Are_We_Alone_(part_3_of_3)._001.jpgहम अकेले नहीं हैं! यह बात साइंस फिक्शन फिल्म के विज्ञापन के जैसी लगती है। बस ऐसा ही हो सकता था, लेकिन ऐसा नहीं है। हम वास्तव में पृथ्वी पर अकेले नहीं हैं। हम ईश्वर के बनाये हुए प्राणी हैं, लेकिन हम ईश्वर के बनाये हुए एकमात्र प्राणी नहीं हैं। पिछले दो लेखों में हमने जिन्न के बारे में बहुत कुछ जाना है। हमने बताया कि ईश्वर ने जिन्न को अग्नि की ज्वाला से मनुष्यों से पहले बनाया था। हमने यह भी बताया कि जिन्न पुरुष और महिला, अच्छे और बुरे, आस्तिक और नास्तिक होते हैं।

जिन्न हमारी दुनिया में मौजूद हैं, फिर भी वे हमसे अलग हैं। शैतान जिन्न में से है और उसके अनुयायी जिन्न और मनुष्यों दोनों में से होते हैं। जैसा कि अब हम जान चुके हैं कि हम अकेले नही हैं, तो यह आवश्यक है कि जिन्न की उपस्थिति का संकेत देने वाले संकेतों को पहचानें और जानें कि उनकी शरारतों और बुरे कामों से खुद को कैसे बचाया जाए।

"हमने मनुष्य को सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से बनाया है। और इससे पहले जिन्नों को हमने अग्नि की ज्वाला से पैदा किया।” (क़ुरआन 15:26-27)

"मैंने जिन्नो और मनुष्यों को सिर्फ अपनी पूजा करने के लिए पैदा किया है।" (क़ुरआन 51:56)

क्योंकि जिन्न हमारे साथ इस दुनिया मे रहते हैं, हमें उनके रहने के स्थान का पता होना चाहिए। जिन्न एक साथ खंडहर और सुनसान जगहों पर इकट्ठा होते हैं, और कभी-कभी तो बहुत बड़ी संख्या में। वे गंदगी, कचरे वाली जगह और कब्रिस्तान में इकट्ठा होते हैं। जिन्न कभी-कभी ऐसी जगहों पर इकट्ठा होते हैं जहां उनके लिए शरारत करना और तबाही मचाना आसान होता है, जैसे कि बाजार वाली जगह।

पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) की परंपराओं से हमें पता चलता है कि उनके कुछ साथियों ने लोगों को सलाह दी थी कि वे बाजार वाली जगहों पर सबसे पहले न जाएं और सबसे आखिर तक न रुकें क्योंकि ये शैतानों के लिए युद्ध का मैदान होता है।[1]

यदि कोई शैतान आदमी के घर को अपने रहने की जगह बना ले तो उसके लिए ईश्वर ने हमें "हथियार" दिए हैं जिससे हम उन्हें अपने घरों से निकाल सकते हैं। इनमें शामिल है बिस्मिल्लाह (शुरू करता हूं मै ईश्वर के नाम से) कहना, ईश्वर को बार-बार याद करना और क़ुरआन के किसी भी छंद का पाठ करना, विशेष रूप से अध्याय दो और तीन का पाठ करना। जिन्न जब भी प्रार्थना की पुकार सुनते हैं तो वो भाग जाते हैं।

पैगंबर मुहम्मद ने समझाया कि जिन्न बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं और अंधेरा छाने पर फैल जाते हैं। इसी वजह से उन्होंने शाम के समय अपने बच्चों को अंदर रखने की आज्ञा दी। [2] उन्होंने हमें यह भी बताया कि जिन्न के पास जानवर होते हैं और उनके जानवरों का भोजन हमारे जानवरों का गोबर है।

कभी-कभी मनुष्यों के जानवर जिन्न से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, कई जिन्न सांपों का रूप धारण करने में सक्षम हैं और पैगंबर मुहम्मद ने काले कुत्तों को शैतान बताया। उन्होंने यह भी बताया कि "ऊंटों के बाड़े में प्रार्थना न करें क्योंकि उनमें शैतान रहते हैं।" [3] उन्होंने ऊंटों को उनके आक्रामक स्वभाव के कारण जिन्न से जोड़ा।

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हम अपने और अपने परिवार को जिन्नों की शरारतों से बचा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है ईश्वर की ओर जाना और उनसे मदद मांगना; हम क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं का पालन करके ऐसा कर सकते हैं। ईश्वर की शरण मे आने पर, वो हमें जिन्न और शैतानों से बचाएंगे। जब हम बाथरूम में जाएं [4], जब हम क्रोधित हों [5], संभोग से पहले [6], और यात्रा पर आराम करते समय या घाटी में यात्रा करते समय [7]. हमें ईश्वर से सुरक्षा की मदद मांगनी चाहिए। क़ुरआन पढ़ते समय भी ईश्वर की शरण लेना जरूरी है।

"तो जब आप क़ुर्आन पढ़ें, तो धिक्कारे हुए शैतान से ईश्वर की शरण मांग लिया करें। वस्तुतः, उसका वश उनपर नहीं है जो आस्तिक हैं और अपने पालनहार पर ही भरोसा करते हैं।" (क़ुरआन 16:98-99)

जिन्न के स्वभाव को समझने से, हमारे लिए दुनिया में होने वाली कुछ अजीबोगरीब घटनाओं को समझना आसान हो गया है। लोग भविष्य या अज्ञात को जानने के लिए ज्योतिषियों और मनोविज्ञान की ओर रुख करते हैं। टेलीविजन और इंटरनेट पर पुरुष और महिलाएं मृत लोगों से बात करके गुप्त और रहस्यमय जानकारी देने का दावा करते हैं। इस्लाम हमें बताता है कि ऐसा संभव नही है। तथाकथित भविष्यवक्ताओं और ज्योतिषियों का दावा है कि वे भविष्य की भविष्यवाणी कर सकते हैं और सितारों और अन्य स्वर्गीय पिंडों का संरेखण देखे के किसी का व्यक्तित्व बता सकते हैं। इस्लाम हमें बताता है कि यह भी संभव नहीं है।

हालांकि, प्राचीन काल में जिन्न आसमान पर जाने मे सक्षम थे। उस समय वे छिपकर बातें सुन सकते थे और घटनाओं के होने से पहले उसके बारे में पता लगा सकते थे। पैगंबर मुहम्मद के समय आसमान की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और अभी भी वैसी ही है। जिन्न अब आसमान की बातें छिपकर नहीं सुन सकते।

"और हमने आकाश तक पहुंचने की कोशिश की, तो पाया कि भर दिया गया है पहरेदारों तथा धधकती आग से। और ये कि हम बैठते थे उस (आकाश) पर बातें सुनने के स्थानों में और जो अब सुनने का प्रयास करेगा, वह पायेगा अपने लिए धधकती हुई आग को घात में लगा हुआ। और ये कि हम नहीं समझ पाते कि क्या किसी बुराई का इरादा किया गया धरती वालों के साथ या इरादा किया है, उनके साथ उनके पालनहार ने सीधी राह पर लाने का।" (क़ुरआन 72:8-10)

पैगंबर मुहम्मद ने इन छंदों का अर्थ समझाया। "जब ईश्वर ने आसमान में कुछ कार्य निर्धारित किया, तो स्वर्गदूतों ने उनके कथन के आज्ञाकारिता में अपने पंखों को हिलाया, जो एक चट्टान पर खींची गई जंजीर की तरह लगता है। स्वर्गदूतों ने कहा, 'तुम्हारे पालनहार ने क्या कहा?' उनमे से कुछ ने कहा, 'सत्य, वह अति उच्च, महान है।' (क़ुरआन 34:23) फिर जो (यानी शैतान या जिन्न) चोरी से सुन लेते हैं एक के ऊपर एक खड़े हो के। अपने नीचे वाले को खबर देने से पहले एक ज्वाला उसे जला देगी, या तब तक नहीं जलायेगी जब तक वह इसे अपने नीचे वाले को नहीं बता देता, फिर दूसरा उसे अपने नीचे वाले को नही बता देता, और इसी तरह जब तक वे पृथ्वी तक समाचार नहीं पहुंचा देते।[8]

जिन्न सच्चाई का एक भाग ले के इसे झूठ के साथ मिला के लोगों को भ्रमित और गुमराह करते हैं। हालांकि अजीब घटनाएं विचलित करने वाली और कभी-कभी डरावनी होती हैं, लेकिन यह लोगों को ईश्वर से दूर करने के लिए की गई दुष्ट शरारतों से ज्यादा कुछ नहीं है। कभी-कभी जिन्न और मानव शैतान मिलकर विश्वासियों को धोखा दे के शिर्क का पाप करवाते हैं।

कभी-कभी इस अजीब और अद्भुत दुनिया में हमें उन परिक्षाओं और समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो अक्सर हमें गुमराह कर देते हैं। जिन्न की शरारतों और बुरे इरादों से निपटना और भी बड़ी परीक्षा लगती है। हालांकि यह जानकर सुकून मिलता है कि ईश्वर सभी शक्ति का स्रोत है और उसकी अनुमति के बिना कुछ भी नही होता है।

पैगंबर मुहम्मद ने हमें बताया कि मनुष्यों और जिन्न की बुराई से ईश्वर की सुरक्षा पाने का सबसे अच्छा तरीका क़ुरआन के अंतिम तीन अध्याय हैं। कभी-कभी हमें जिन्नों की बुराई का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन ईश्वर हमारा सुरक्षित आश्रय है, और उनकी ओर जाना ही हमारा बचाव है। ईश्वर की सुरक्षा के अलावा कोई और सुरक्षा नही है, हम सिर्फ उसी की पूजा करते हैं और सिर्फ उसी से मदद मांगते हैं।



फुटनोट:

[1]सहीह मुस्लिम

[2]सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[3]अबू दाऊद।

[4] इबिड

[5]सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[6] इबिड

[7]इब्न माजा।

[8]सहीह अल-बुखारी

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