इस्लाम उदासी और चिंता से कैसे निपटता है (4 का भाग 4): विश्वास
विवरण: आस्तिको को केवल ईश्वर में ही विश्वास रखना चाहिए।
- द्वारा Aisha Stacey (© 2010 IslamReligion.com)
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
- मुद्रित: 0
- देखा गया: 6,981 (दैनिक औसत: 6)
- द्वारा रेटेड: 0
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
जैसे-जैसे हम नई सदी में प्रवेश कर रहे हैं और हममें से वो जो गरीबी रेखा के ऊपर हैं, उन्हें अलग ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमारे पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन है, रहने के लिए घर है, हममें से अधिकांश जीवन के छोटे-छोटे सुख का आनंद भी लेते हैं। शारीरिक रूप से भी हम पूर्ण हैं, लेकिन आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से हम वंचित हैं। हमारा मन उदासी और दुख से भरा हुआ है। तनाव और चिंता बढ़ रही है। जब हम संपत्ति इकट्ठा कर लेते हैं तो हमें आश्चर्य होता है कि हम खुश क्यों नहीं हैं। जैसे ही एक और छुट्टी आती है हम अकेला और हताश महसूस करते हैं।
वह जीवन जो ईश्वर से बहुत दूर है वह वास्तव में एक दुखद जीवन है। हम कितना भी पैसा क्यों न जमा कर लें, या हमारा घर कितना भी भव्य क्यों न हो, अगर ईश्वर हमारे जीवन का केंद्र नहीं है तो खुशी हमेशा के लिए हमसे दूर हो जाएगी। सच्ची खुशी तभी मिल सकती है जब कम से कम हम अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास करें। मनुष्यो का अस्तित्व ईश्वर की पूजा के लिए है। ईश्वर चाहते हैं कि हम इस जीवन में और परलोक में खुश रहें और उन्होंने हमें वास्तविक खुशी की कुंजी भी दी है। यह किसी से छुपा नही है या कोई रहस्य नही है, यह कोई पहेली नही है, यह इस्लाम है।
"और ईश्वर ने जिन्न और मनुष्य को सिर्फ अपनी पूजा के लिए बनाया है।" (क़ुरआन 51:56)
इस्लाम धर्म हमारे जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट रूप से समझाता है और हमारी खुशी की खोज को आसान बनाने के लिए दिशानिर्देशों देता है। क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) की प्रामाणिक परंपराएं, दुख और चिंता से पूरी तरह से रहित जीवन के लिए हमारी मार्गदर्शक किताबें हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी परीक्षा नही होगी क्योंकि ईश्वर क़ुरआन में बहुत स्पष्ट रूप से कहता है कि वह हमारी परीक्षा लेगा। हमारा जीवन उन परिस्थितियों से भरा होगा जिनमें हमें ईश्वर पर निर्भर रहने की आवश्यकता होगी। ईश्वर हमसे वादा करता है कि वह धैर्यवान लोगों को इनाम देगा, ईश्वर हमें उसके प्रति आभारी होने के लिए कहता है, और वह हमें बताता है कि वह उन लोगों से प्यार करता है जो उस पर भरोसा करते हैं।
"...ईश्वर पर भरोसा रखो, निश्चय ही ईश्वर उनसे प्रेम करता है जो उस पर भरोसा करते हैं।" (क़ुरआन 3:159)
"आस्तिक तो वही हैं जो ईश्वर का ज़िक्र होने पर अपने दिलों में डर महसूस करते हैं और जब वो आयतें (क़ुरआन) सुनते हैं तो उनका विश्वास बढ़ता है। और वे सिर्फ अपने ईश्वर पर भरोसा रखते हैं।” (क़ुरआन 8:2)
जीवन आनंद और समस्याओं से भरा हुआ है। कभी-कभी यह उतार-चढाव भरा होता है। एक दिन हमारा विश्वास बहुत अधिक होता है तो अगले दिन यह कम हो जाता है और हम दुखी और चिंतित महसूस करते हैं। अपने जीवन की यात्रा को एक समान करने के लिए यह विश्वास करना जरुरी है कि ईश्वर जानता है कि हमारे लिए सबसे अच्छा क्या है। यहां तक कि जब हमारे जीवन में बुरी चीजें होती है तो उनके पीछे एक उद्देश्य और ज्ञान होता है। कभी-कभी ये उद्देश्य केवल ईश्वर को ही ज्ञात होता है, और कभी-कभी यह स्पष्ट होता है।
इसके फलस्वरूप जब हम यह जान जाते हैं कि ईश्वर के अलावा कोई और शक्ति नही है, तो हम ज्यादा सोचना बंद कर देते हैं। पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने एक बार अपने एक युवा साथी को याद दिलाया कि ईश्वर सर्वशक्तिमान हैं और उनकी अनुमति के बिना कुछ भी नहीं होता है।
"ऐ जवान, ईश्वर की आज्ञाओं को मानो, और वह इस जीवन में और परलोक में भी तुम्हारी रक्षा करेगा। ईश्वर की आज्ञाओं को मानो और वह तुम्हारी सहायता करेगा। जब तुम कुछ मांगो तो उसे ईश्वर से मांगो, और यदि तुम मदद मांगो तो ईश्वर से मदद मांगो। जान लो कि अगर लोग इकट्ठे होकर भी तुमको फायदा पहुंचाना चाहें तो वे तुम्हे केवल वही फायदा पहुंचा सकते हैं जो ईश्वर ने तुम्हारे लिए लिख दिया है, और यदि वे इकट्ठे होकर भी तुमको नुकसान पहुंचाना चाहें तो वे तुम्हे केवल वही नुकसान पहुंचा सकते हैं जो ईश्वर ने तुम्हारे लिए लिख दिया है। कलम वापस ले ली गई हैं और पन्ने सुख गए हैं।"[1]
जब हम ये जान जाते हैं कि ईश्वर का सभी चीजों पर नियंत्रण है और वह चाहता है कि हम हमेशा के लिए स्वर्ग में रहें, तो हमें अपने दुखों और चिंता को पीछे छोड़ देना चाहिए। ईश्वर हमसे प्यार करता है और हमारा भला चाहता है। ईश्वर ने हमें स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है और वह सबसे दयालु और क्षमा करने वाला है। यदि चीजें हमारे अनुसार नही होती हैं और अगर हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों का कोई लाभ नही दीखता है, तो हम आसानी से निराश हो सकते हैं और तनाव और चिंता के शिकार हो सकते हैं। ऐसे समय में हमें ईश्वर पर भरोसा करना सीखना चाहिए।
“यदि ईश्वर आपकी सहायता करता है तो कोई भी आपको हरा नहीं सकता; और यदि वह तुम्हे छोड़ दे, तो उसके बाद कोई नहीं है जो तुम्हारी सहायता करेगा, और विश्वाश करने वालो ईश्वर पर भरोसा रखो।” (क़ुरआन 3:160)
"आप कह दें "वही मेरा ईश्वर है और उसके सिवा कोई पूज्य नहीं है। मैंने उसी पर भरोसा किया है और मुझे उसी के पास जाना है।" (क़ुरआन 13:30)
"और हम निश्चित रूप से सभी दुखों को धैर्य से सहेंगे... और भरोसा करने वालों को सिर्फ ईश्वर पर ही निर्भर रहना चाहिए।" (क़ुरआन 14:12)
आस्तिकों का ईश्वर पर विश्वास किसी भी परिस्थिति में एक समान होना चाहिए चाहे वो अच्छी हो, बुरी हो, आसान हो या कठिन हो। इस दुनिया में जो कुछ भी होता है वह ईश्वर की अनुमति से होता है। वही जीविका देता है और वह इसे वापस लेने में भी सक्षम है। वह जीवन और मृत्यु का स्वामी है। ईश्वर तय करता है कि हम अमीर होंगे या गरीब और स्वस्थ होंगे या बीमार। हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि उसने हमें प्रयास करने और प्राप्त करने की क्षमता प्रदान की जो हमारे लिए अच्छा है। हमारी परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें उनके लिए ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए और उसकी स्तुति करनी चाहिए। हमें अपनी कठिनाइयों को धैर्य के साथ सहना चाहिए और सबसे बढ़कर हमें ईश्वर से प्रेम और उस पर विश्वास करना चाहिए। जब जीवन अंधकारमय और कठिन हो जाए तो हमें ईश्वर से और अधिक प्रेम करना चाहिए; जब हमें उदासी और चिंता हो तो हमें ईश्वर पर और अधिक भरोसा करना चाहिए।
टिप्पणी करें