ब्रह्मांड के उत्पत्ति पर क़ुरआन
विवरण: ब्रह्मांड के निर्माण के बारे मे वैज्ञानिक और क़ुरआन का स्पष्टीकरण।
- द्वारा islam-guide.com
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 24 Dec 2023
- मुद्रित: 0
- देखा गया: 5,971 (दैनिक औसत: 5)
- द्वारा रेटेड: 0
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान, अवलोकन और सैद्धांतिक, स्पष्ट रूप से बताता है कि एक समय पूरा ब्रह्मांड 'धुएं' के बादल के अलावा कुछ भी नहीं था (यानी एक अपारदर्शी, अत्यधिक घनी और गर्म गैसीय संरचना)।[1] यह आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान के निर्विवाद सिद्धांतों में से एक है। वैज्ञानिक अब उस 'धुएं' के अवशेषों से बनने वाले नए तारों को देख सकते हैं (चित्र 1 और 2 देखें)।
हम रात मे जो जगमगाते तारे देखते हैं वे पूरे ब्रह्मांड की तरह ही उस 'धुएँ' जैसे थे। ईश्वर क़ुरआन में कहता है:
"फिर आसमान की तरफ देखा और वह धुआं था..." (क़ुरआन 41:11)
क्योंकि जमीन और ऊपर आसमान (सूरज, चांद, तारे, ग्रह, आकाशगंगा, आदि) इसी 'धुएं' से बने हैं, हमारा निष्कर्ष है कि जमीन और आसमान आपमे जुड़े हुए थे। फिर इसी 'धुएँ' से ये बने और एक दूसरे से अलग हो गए। ईश्वर क़ुरआन में कहता है:
“क्या उन लोगों ने जिन्होंने इनकार किया, देखा नहीं कि ये आकाश और धरती बन्द थे। फिर हमने उन्हें खोल दिया...” (क़ुरआन 21:30)
डॉ. अल्फ्रेड क्रोनर विश्व के प्रसिद्ध भूवैज्ञानिकों में से एक हैं। यें भूविज्ञान के प्रोफेसर हैं और भूविज्ञान संस्थान, जोहान्स गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय, मैन्ज़, जर्मनी में भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष हैं। इन्होंने कहा: “मुहम्मद जिस जगह से हैं . . . मुझे लगता है कि यह लगभग असंभव है कि वह ब्रह्मांड के बनने जैसी चीजों के बारे मे जान सके, क्योंकि वैज्ञानिकों ने पिछले कुछ वर्षो मे बहुत ही जटिल और उन्नत तकनीकी तरीकों से इसके बारे में पता लगाया है।"[2] (इस टिप्पणी का रियलप्लेयर वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें)। उन्होंने यह भी कहा: "कोई व्यक्ति जो चौदह सौ साल पहले परमाणु भौतिकी के बारे में कुछ नहीं जानता था, मुझे नही लगता कि वह अपने दिमाग से यह पता लगा सके कि जमीन और आसमान का स्त्रोत एक ही है।" [3] (इस टिप्पणी का रियलप्लेयर वीडियो देखें).
टिप्पणी करें