स्वर्ग और नर्क में वार्तालाप (3 का भाग 1): स्वर्गदूतों से बात करना
विवरण: जब हम अपने शाश्वत निवास में प्रवेश करेंगे तो हमारे आजीवन साथी हमसे क्या कहेंगे।
- द्वारा Aisha Stacey (© 2012 IslamReligion.com)
- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 27 Jun 2022
- मुद्रित: 0
- देखा गया: 7,751 (दैनिक औसत: 7)
- द्वारा रेटेड: 0
- ईमेल किया गया: 0
- पर टिप्पणी की है: 0
हम स्वर्ग और नर्क के बीच होने वाली बातचीत के बारे में लेखों की एक नई श्रृंखला के साथ शुरू करते हैं। हम यह आशा करते हैं कि जो कुछ हमें स्वर्ग और नर्क के बारे में बताया गया है, उसे याद करके हम उन घटनाओं का अनुभव और कल्पना कर सकेंगे, जब हम परलोक में अपने निवास के आमने-सामने होंगे।
ईश्वर हमें इन वार्तालापों में अंतर्दृष्टि क्यों देता है? क़ुरआन ना केवल स्वर्गीय उद्यानों और नर्क के विवरण से भरा है, बल्कि बातचीत, संवाद, प्रवचन और बौद्धिक चर्चाओं से भी भरा है। जब इसी तरह के परिदृश्यों को बार-बार दोहराया जाता है, तो यह एक संकेत है कि ईश्वर कह रहा है, "ध्यान दें!" इसलिए यह हम पर निर्भर है कि हम ऐसा ही करें - या तो स्वर्गीय उद्यान के रूप में ज्ञात आनंदमय निवास की आशा के साथ सावधानी से ध्यान दें या खुद को नर्क की आग से बचाने की कोशिश करें। सूचना को बार-बार दोहराया जाता है ताकि हम परलोक की सोंचे तथा सावधानी से सोंचे।
निम्नलिखित लेखों में हम बातचीत की कई अलग-अलग श्रेणियों को देखेंगे। स्वर्गीय उद्यानों के लोगों और नर्क की आग के लोगों के साथ स्वर्गदूतों की बातचीत, स्वर्गीय उद्यान और नर्क के लोगों के बीच उनके परिवार के सदस्यों के साथ होने वाली बातचीत, और वह वार्तालाप जो ईश्वर ने स्वर्गीय उद्यान और नर्क के लोगों के साथ की। इसके अलावा हम देखेंगे कि स्वर्गीय उद्यान और नर्क के लोग आपस में, एक दूसरे से और अपने आंतरिक संवादों के बीच क्या कहते हैं। आइए हम स्वर्गदूतों और परलोक के लोगों के बीच की बातचीत से शुरू करें।
स्वर्गदूतों के साथ बातचीत
स्वर्गदूत हमारी शुरुआत से अंत तक हमारे बीच वास करते हैं। वे भ्रूण में आत्माओं को डालने का काम करते हैं, वे हमारे अच्छे और बुरे कर्मों को लिखते हैं और वे मृत्यु के समय हमारे शरीर से आत्माओं को निकालते हैं। हमारी मृत्यु के बाद, हमारे शाश्वत निवास में प्रवेश करने पर, वे हमारे साथ होंगे और हम उनके साथ बातचीत कर सकेंगे।
स्वर्गीय उद्यान के लोग
जिन लोगों ने प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य के साथ अपना जीवन व्यतीत किया है, और कठिनाई और सहजता के समय में धर्मी होने का प्रयास किया है, उन लोगों का शाश्वत निवास वह स्वर्गीय उद्यान है जिसे जन्नत कहते हैं। जो लोग अनंत काल तक स्वर्गीय उद्यानों में जीवन बिताएंगे, वो अपने नए घर में प्रवेश करेंगे तो स्वर्गदूत उनका अभिवादन करेंगे। ये स्वर्गीय वाटिका के द्वारपाल हैं और वे कहेंगे, "अपने धैर्य के कारण यहां शांति से प्रवेश करो!" स्वर्गीय उद्यान शाश्वत शांति और पूर्ण संतुष्टि का स्थान है।
"तथा भेज दिये जायेंगे, जो लोग डरते रहे अपने पालनहार से, स्वर्ग की ओर झुण्ड बनाकर। यहाँतक कि जब वे आ जायेंगे उसके पास तथा खोल दिये जायेंगे उसके द्वार और कहेंगे उनसे उसके रक्षकः सलाम है तुमपर, तुम प्रसन्न रहो। तुम प्रवेश कर जाओ उसमें, सदावासी होकर।" (क़ुरआन 39:73)
उनके दिल से चोट या दर्द के सभी भाव दूर हो जाएंगे। वे ईश्वर की स्तुति करते हुए स्वर्गदूतों को उत्तर देंगे, और बातचीत जारी रहेगी।
“…सब प्रशंसा उस ईश्वर की है, जिसने हमें इसकी राह दिखाई और यदि ईश्वर हमें मार्गदर्शन न देता, तो हमें मार्गदर्शन न मिलता। हमारे पालनहार के दूत सत्य लेकर आये तथा उन्हें पुकारा जायेगा कि इस स्वर्ग के अधिकारी तुम अपने सत्कर्मों के कारण हुए हो।" (क़ुरआन 7:43)
नर्क की आग के लोग
नर्क की आग के लोगों और स्वर्गदूतों के बीच होने वाली बातचीत पूरी तरह से अलग होगी। नर्क के निवासियों को एक पूरी तरह से अलग अनुभव होगा। अपने अनन्त निवास में प्रवेश करने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा करने के बजाय, नर्क के लिए नियत लोगों को आग के प्रभारी स्वर्गदूत एकत्रित करेंगे और घसीटेंगे। जब लोगों को उसमें डाला जाएगा, तो स्वर्गदूत कहेंगे, "क्या तुम्हारे पास कोई चेतावनी देने वाला नहीं आया था?"
प्रतीत होगा कि फट पड़ेगी रोष (क्रोध) से, जब-जब फेंका जायेगा उसमें कोई समूह तो प्रश्न करेंगे उनसे उसके प्रहरीः क्या नहीं आया तुम्हारे पास कोई सावधान करने वाला (दूत)? वह कहेंगेः हाँ हमारे पास आया सावधान करने वाला। पर हमने झुठला दिया और कहा कि नहीं उतारा है ईश्वर ने कुछ। तुम ही बड़े कुपथ में हो। तथा वह कहेंगेः यदि हमने सुना और समझा होता तो नर्क के वासियों में न होते!" (क़ुरआन 67:8-10)
हालांकि यह पहली बार नहीं होगा जब आग के ये निवासी स्वर्गदूतों से बातचीत करेंगे। जब मृत्यु के दूत और उनके सहायक ऐसे लोगों की आत्माओं को निकालने के लिए इकट्ठे होंगे, तो वे स्पष्ट रूप से पूछेंगे, ईश्वर के अलावा तुम जिसे पूजते थे वो कहां है? क्योंकि व्यक्ति के जीवन के इस चरण में उसकी मूर्तियाँ स्पष्ट रूप से अनुपस्थित रहेगी।
…जिस समय हमारे दूत (मृत्यु का दूत और उसके सहायक) उनके प्राण निकालने के लिए आयेंगे, तो उनसे कहेंगे कि वे कहाँ हैं, जिन्हें तुम ईश्वर के सिवा पुकारते थे? वे कहेंगे कि वे तो हमसे खो गये तथा अपने ही विरूध्द साक्षी (गवाह) बन जायेंगे कि वस्तुतः वे अविश्वासी थे। (क़ुरआन 7:37)
कुछ समय बाद नर्क के निवासी सभी आशा खोने लगेंगे। वे ईश्वर को पुकारेंगे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलेगा, इसलिए वे स्वर्गदूतों, द्वारपालों से भीख मांगेंगे। वो कहेंगे अपने ईश्वर को पुकारो और उससे हमारी सजा को कम करने के लिए कहो। स्वर्गदूत ऐसे शब्दों के साथ जवाब देंगे जो उनकी निराशा को और बढ़ा देगा।
तथा कहेंगे जो अग्नि में हैं, नरक के रक्षकों सेः अपने पालनहार से प्रार्थना करो कि हमसे हल्की कर दे किसी दिन, कुछ यातना। वे कहेंगेः क्या नहीं आये तुम्हारे पास, तुम्हारे दूत, खुले प्रमाण लेकर? वे कहेंगेः क्यों नहीं? वे कहेंगेः तो तुम ही प्रार्थना करो! ... (क़ुरआन 40:49-50)
टिप्पणी करें