मकड़ी के जाल पर क़ुरआन (2 का भाग 1)
विवरण: क़ुरआन का छंद मकड़ी के घर की सामाजिक नाजुकता को बताता है जिसे हमने हाल ही में समझना शुरू किया है।
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- पर प्रकाशित 04 Nov 2021
- अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
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"जो लोग ईश्वर को छोड़कर दूसरों को पूज रहे हैं, उनकी मिसाल मकड़ी जैसी है जो अपना एक घर बनाती है और सब घरों से ज्यादा कमजोर घर मकड़ी का ही होता है। काश के लोग ये जानते।" (क़ुरआन 29:41)
क़ुरआन का यह छंद 29वें अध्याय अल-अंकबूत का है। इसमें ईश्वर बताता है कि सभी घरों में सबसे कमजोर मकड़ी का घर है। अरबी भाषा में "अहवान" शब्द का मतलब "सबसे कमजोर" होता है; और इसको गहराई से समझने पर पता चलता है कि इसका अर्थ है शारीरिक और मानसिक रूप से गंभीर कमजोरी और लाचारी।
20वीं और 21वीं सदी में प्रकृति और वन्य जीवन के अध्ययन के विस्तार के साथ प्रकृतिवादियों और वैज्ञानिकों ने मकड़ियों के जीवन के बारे मे वास्तव में विचित्र चीज़ों का खुलासा किया, उनको लिखा और वीडियो बनाया है।
यौन नरभक्षण
मकड़ियों की 45,000 से अधिक ज्ञात प्रजातियों में यह बहुत आम है कि मादा मकड़ियां नर मकड़ियों को मार देती हैं और खा जाती हैं[1]; जिसे यौन नरभक्षण कहा जाता है। ये ऐसा क्यों करती हैं इसका पता नहीं चला है, हालांकि, वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया एक सिद्धांत यह है कि नर का शरीर से मादा को बहुत आवश्यक पोषक तत्व मिलता है जो उसे स्वस्थ अंडे देने में सक्षम बनाता है। स्पेन के एक्सपेरिमेंटल स्टेशन ऑफ़ एरिड ज़ोन के एक अध्ययन से पता चला है कि अधिकांश मकड़ी प्रजातियों में आक्रामक मादाएं अपने साथी को बिना सोचे समझे मार देती हैं भले ही नर कमजोर हो या नहीं।[2] कई प्रजातियों में मादा मकड़ियां उन संभावित साथियों को भी मार देती हैं जिनके साथ संभोग करने में उनकी रुचि नहीं होती है।[3]
डार्क फिशिंग मकड़ी जैसी मकड़ी की कुछ प्रजातियों मे नर मकड़ी आंतरिक कारणों से संभोग के बाद खुद ही मर जाते हैं और फिर मादा मकड़ी उन्हें क्रूरता से खा जाती है।[4] अन्य नर मकड़ी की प्रजातियां केवल कुछ ही बार संभोग करने के बाद अपने आप मर जाती हैं और अधिकांश प्रजातियों में मादा नर से अधिक समय तक जीवित रहती हैं; नर मकड़ियां केवल कुछ महीनों तक जीवित रहते हैं और मादा कुछ वर्षों तक।
संभोग करने और जीवित बचने के बाद छोटे आकार के नर मकड़ी मादा मकड़ी की नरभक्षी प्रवृत्ति को जानते हैं और वे अपनी जान बचाने के लिए तुरंत भाग जाते हैं[5]और मादा को कुछ दर्जन से लेकर लगभग एक हजार अंडे की देखरेख के लिए अकेले छोड़ देते हैं। ब्राज़ीलियन वांडरिंग मकड़ियों मे ऐसा ही होता है।
मकड़ियों के घातक संभोग नियमों में एक नया मोड़ तब आया जब 2013 में चेक गणराज्य के मासारिक विश्वविद्यालय के शोधकर्ता लेंका सेंटेंस्का और स्टैनो पेकर द्वारा जारी एक अध्ययन में पाया गया कि ब्लैक विडो मकड़ियों की माइकरिया सोसिएबिलिस प्रजाति में मादा और पुरुष दोनों संभोग के बाद आमतौर पर एक दूसरे को मारते हैं और खा जाते हैं; और इस विशिष्ट प्रजाति में, जो पहले से माना जाता था उसके विपरीत, नर मकड़ियां मादा मकड़ियों की तुलना में अधिक अपने जीवनसाथी को मारती और खाती हैं।[6]
नवजात मकड़ियों का जीवन
अधिकांश प्रजातियों में नवजात मकड़ियों के पास केवल उनकी मां होती है जो उन्हें खिलाती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। जब भोजन की कमी हो जाती है तो माँ को मज़बूरी मे बच्चों को अपने अंडे खिलाने पड़ते है; इसलिए एक युवा मकड़ी को जीवित रहने के लिए अपने ही अजन्मे भाइयों और बहनों को खाना पड़ता है।[7]
जब खाने के लिए अंडे खत्म हो जाते हैं और मां को पर्याप्त कीड़े-मकौड़े नहीं मिलते तो एक सामान्य अवलोकन यह है कि मकड़ी के बच्चे हताशा में नरभक्षी हो जाते हैं एक दूसरे को खाने लगते हैं और छोटा मकड़ी का जाल एक नरसंहार के पिंजरे में बदल जाता है। असहाय माँ भी जिन्दा रहने के लिए आमतौर पर अपने ही बच्चे को मारने और खाने लगती है।
फुटनोट:
[1]पप्पस, स्टेफ़नी। जून 2016। नर ओर्ब-वेब मकड़ी अपने नरभक्षी साथी को खुद चुनते हैं। लाइव साइंस। यहां से लिया गया है http://www.livescience.com/54944-male-orb-web-spiders-choosy-about-cannibal-mate.html
[2]गैनन, मेगन। अप्रैल 2014। भोजन बनाम संभोग: कुछ मादा मकड़ियां संभोग से पहले नर को क्यों खा जाती हैं। लाइव साइंस। यहां से लिया गया है http://www.livescience.com/45066-virgin-female-spiders-eat-males.html
[3]गैनन, मेगन। अप्रैल 2014। भोजन बनाम संभोग: कुछ मादा मकड़ियां संभोग से पहले नर को क्यों खा जाती हैं। लाइव साइंस। यहां से लिया गया है http://www.livescience.com/45066-virgin-female-spiders-eat-males.html
[4]लुईस, तान्या। जून 2013। मुश्किल प्यार: नर मकड़ियां संभोग के लिए मर जाते हैं। लाइव साइंस। यहां से लिया गया है http://www.livescience.com/37536-spiders-die-for-sex.html
[5]सज़ाले, जेसी। दिसंबर 2014 टारेंटयुला तथ्य। लाइव साइंस। यहां से लिया गया है http://www.livescience.com/39963-tarantula.html
[6]कैडियक्स-शॉ, लिलियन। मई 2013। अध्ययन: नर ब्लैक विडो मकड़ियां भी अपने साथी को खा जाते हैं। कनाडाई भौगोलिक। यहां से लिया गया है http://www.canadiangeographic.ca/article/study-male-black-widow-spiders-eat-their-mates-too
[7]एंगलहॉप्ट, एरिका। फरवरी 2014। कुछ जानवर... तथ्य। विज्ञान समाचार। यहां से लिया गया है https://www.sciencenews.org/blog/gory-details/some-animals-eat-their-moms-and-other-cannibalism-facts
मकड़ी के जाले के बारे में क़ुरआन (भाग 2 का 2)
विवरण: मकड़ी का जाला में सामाजिक अराजकता का एक और उदाहरण - मातृपाल। मकड़ी के घर का जीवित "नरक" बहुदेववाद के परिणामों की याद दिलाता है।
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मातृपाल (मेट्रिफैगी)
एक मकड़ी के घर का सबसे विचित्र हिस्सा तब होता है, जब मादा मकड़ी हताशा और चिंता के अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच जाती है और अब अपने बच्चों को जीवित नहीं रख सकती है। उसके अपने सैकड़ों बच्चों को खो चुकने और अभी भी कई सौ बच्चों के साथ फंसे हुवे होने के बाद; माँ, आश्चर्यजनक रूप से, अपने बच्चों के लिए अपने शरीर को भोजन के रूप में बलिदान कर देती है, जिससे उनकी हत्यारा वृत्ति खुल जाती है, जिससे वे हमला करते हैं और उसे जीवित खा जाते हैं! इस क्रूर प्रक्रिया को मातृपाल या "माँ को खाना" कहा जाता है।[1]
अब तक जो ज्ञात हो सका है, वह यह है कि मातृपाल मादा मकड़ी द्वारा शुरू की गई एक प्रक्रिया है और इसकी विधियाँ एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में भिन्न होती हैं। जहरीली मकड़ी अपनी ही मां को जहर देकर मौत के घाट उतार देती है; लेकिन सभी मामलों में मातृपाल एक धीमी और दर्दनाक प्रक्रिया है जिसमें माता मकड़ी के वास्तव में मरने से पहले हफ्तों का समय लगता है क्योंकि उसके शरीर के तरल पदार्थ अंततः उसके अपने ही बच्चों द्वारा खा लिए जाते हैं।[2]
इस तरह की प्रक्रिया को ग्राउंड स्पाइडर, स्टेगोडिफस लिनेटस स्पाइडर[3]और केकड़े मकड़ियों में देखा और प्रलेखित किया गया है और केवल आगे के शोध के माध्यम से यह निर्धारित किया जा सकता है कि मकड़ियों की दयनीय दुनिया में व्यापक मातृपाल कितनी व्यापक है।
पिछले शोध में, मकड़ियों की दुनिया में संभोग करने से अक्सर नर मकड़ी की मृत्यु हो जाती है और मादा विधवा हो जाती है; माँ को अकेली औसतन कुछ सौ छोटे बच्चों के साथ उनको को खिलाने और उनकी रक्षा करने के लिए अकेली रह जाती है, वह अपनी छोटी मकड़ियों को जीवित रखने के लिए बिना पके अंडे खिलाने के लिए मजबूर होती हैं, और आमतौर पर खुद को जीवित रखने के लिए अपने बच्चों को खाती हैं। बच्चे भी नरभक्षण में बदल जाते हैं और एक दूसरे को मारते और खाते हैं; और अंततः और सबसे आश्चर्यजनक रूप से, विकट परिस्थितियों में माँ मकड़ियाँ खाने के लिए अपने ही बच्चों के लिए खुद को बलिदान कर देती हैं। अंतिम और सबसे अच्छा परिणाम यह है कि सैकड़ों मकड़ी के बच्चों में से केवल कुछ ही वास्तव में मकड़ी का जाल की पीड़ा को छोड़ने के लिए जीवित रहते हैं।
अब, एक मकड़ी के घर की क्रूर प्रकृति को जानते हुए, सर्वशक्तिमान ईश्वर, जिसने उन प्रकृतिवादियों और वैज्ञानिकों से बहुत पहले, जिन्होंने मकड़ी के व्यवहार का विस्तार से अध्ययन करना शुरू किया, यह उल्लेख कर दिया था कि सब से खराब घर एक मकड़ी का है। अब यह कहा जा सकता है, कि एक मकड़ी के जाले में जीवन पूरी तरह से विचित्र है और अन्य प्राणियों के घरों के साथ तुलना करने के बाद, वास्तव में उसका घर सभी घरों में सबसे खराब, सबसे क्रूर और दयनीय है !!!
क़ुरआन की आयत में संदेश
क़ुरआन की संबंधित आयत में एक स्पष्ट चेतावनी है। ईश्वर ने उन लोगों की तुलना, जो अपने साथ सहयोगियों या देवताओं को पूजा में शामिल करते हैं, उन लोगों के साथ की है, जो घर के रूप में मकड़ी का जाला अपनाते हैं। क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की प्रामाणिक परंपराएं, ईश्वर की दया और आशीर्वाद उन पर हो, दोनों ही बहुत स्पष्ट हैं कि केवल ईश्वर, सभी के निर्माता, सीधे पूजा के योग्य हैं, किसी भी मध्यस्थ या सहयोगियों के माध्यम से नहीं। इसे एकेश्वरवाद कहा जाता है।
"ईश्वर की पूजा करो और उसके साथ किसी को शामिल न करो।" (क़ुरआन 4:36)
"और जब इब्राहीम ने अपने पिता और अपने लोगों से कहा, 'वास्तव में, मैं उन (मूर्तियों) से अलग हूं जिनकी तुम पूजा करते हो। सिवाय उसके जिसने मुझे बनाया है, और वास्तव में, वही मुझे मार्गदर्शन करेगा।'" (क़ुरआन 43:26, 27)
इस्लाम और सभी नबियों और दूतों का संदेश केवल ईश्वर की पूजा करना है और यह कि बिचौलियों या सहयोगियों जैसे कि पैगम्बरों, स्वर्गदूतों, पवित्र लोगों, जानवरों, प्राणियों, वस्तुओं या किसी भी चीज़ के माध्यम से ईश्वर की पूजा करना बहुदेववाद है; जो सभी पापों में सबसे बड़ा पाप है। प्रार्थना, दुआ और जानवरों के वध सहित पूजा के सभी कार्य केवल ईश्वर को निर्देशित किए जाने चाहिए।
क़ुरआन का उल्लेख है कि ऐसे सहयोगी उस व्यक्ति की प्रार्थना का जवाब भी नहीं दे सकते (और कुछ मामलों में, देख या सुन भी नहीं सकते हैं) जो उनसे प्रार्थना कर रहा है। ऐसा तब होता है जब कोई गलत तरीके से किसी पैगंबर, या मृत पवित्र व्यक्ति, या मूर्ति की कब्र पर जाता है और प्रार्थना करता है और उनसे उसके पापों को क्षमा करने या उसे बीमारी से ठीक करने के लिए कहता है। पूर्व-उल्लेख व्यक्ति या वस्तुओं में आवश्यक कार्य करने की शून्य क्षमता है। इसके अलावा, ईश्वर उल्लेख करता है कि उसने कभी भी अपनी किसी भी रचना को अपने साथ सहयोगी बना लेने का आदेश नहीं दिया; वास्तव में सभी मानव जाति को शुद्ध वृत्ति के साथ बनाया गया था कि सर्वशक्तिमान ईश्वर एक है और उसे अकेले को पूजा किये जाने का अधिकार है।
अक्षम्य पाप
सभी पापों में सबसे बड़ा, बहुदेववाद, अर्थात पूजा में सर्वशक्तिमान ईश्वर के साथ किसी भी चीज को जोड़ना है। यह एक पाप है जिसके बारे में ईश्वर ने कहा है कि वह आख़िरत में उसको क्षमा नहीं करेगा; जबकि अन्य सभी पापों को क्षमा किया जा सकता है।
एक ऐसे व्यक्ति के अन्याय की कल्पना करें जो ईश्वर द्वारा पहली बार कुछ भी न होने के बाद, (भद्र और दया से अपनी माँ के गर्भ में) बनाया गया था जिसे आत्मा का उपहार दिया गया था, जिसे मस्तिष्क, दिल, दृष्टि, श्रवण, भावनाओं, के साथ बनाया गया था। खाने के लिए पौधों और जानवरों से भरी सुंदर और आकर्षक रहने योग्य पृथ्वी, और कच्चा माल जिसका उपयोग मानव जाति ने शहरों और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया है; तब यह व्यक्ति सर्वशक्तिमान ईश्वर की प्रशंसा, धन्यवाद और आराधना नहीं करता है, बल्कि यही सब ईश्वर की किसी रचना को देता है (जिसने उपर्युक्त में से कुछ भी नहीं किया)। "तथा (याद करो) जब लुक़मान ने कहा अपने पुत्र से, जब वह समझा रहा था उसेः हे मेरे पुत्र! साझी मत बना ईश्वर का, वास्तव में, शिर्क (मिश्रणवाद) बड़ा घोर अत्याचार है। " (क़ुरआन 31:13)
जो लोग मर जाते हैं और ईश्वर के अलावा अन्य की पूजा करने से पश्चाताप नहीं करते हैं, वे परलोक में हार जाएंगे। जहां तक इस जीवन में पूजे जाने वाले मानवीय सहयोगियों की बात है तो वे उन लोगों से अलग हो जाएंगे जो उनकी पूजा करते थे। जबकि, गैर-मानवीय सहयोगी उनके खिलाफ हो जाएंगे और उन लोगों के साथ विश्वासघात करेंगे जो उनकी पूजा करते थे; और कहेंगे (ईश्वर उन्हें बोलने की क्षमता देगा) कि कोई भी वास्तव में उनकी पूजा नहीं कर रहा था। परिणामस्वरूप, आराधना करने वाले और गैर-मानवीय सहयोगी दोनों को नरक में रखा जाएगा। "और [अब्राहम] ने कहा, 'तू ने ईश्वर के स्थान पर [पूजा के लिए] मूरतें अपनाली हैं, और तेरे बीच प्रेम केवल इस जगत के जीवन में है। प्रलय के दिन तू एक दूसरे का इन्कार करेगा और एक दूसरे को शाप देगा। और तुम्हारा शरणागत आग होगा, और तुम्हारा कोई सहायक न होगा।'" (क़ुरआन 29:25)
इसलिए मकड़ी के जाल की तुलना नरक से की जा सकती है, जो दुख का एक सीमित और दयनीय स्थान है। माँ मकड़ी जिसने अपना जीवन त्याग दिया, ताकि उसका बच्चा जीवित रहे, उसकी तुलना उस व्यक्ति से की जा सकती है जो ईश्वर के साथ कई अलग-अलग सहयोगियों (उसके कई बच्चों) की पूजा करता था। चूँकि गैर-मानवीय साथी जिनकी पूजा की जाती थी, वे भी नरक में होंगे और उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात करेंगे जो उनकी पूजा करता था, परिणाम उस व्यक्ति की असहनीय पीड़ा और तकलीफ होगी, जैसे कि मकड़ी के बच्चे कैसे धोखा देते हैं और अपनी मां की जान के पीछे पड़ जाते हैं और मकड़ी का जाला में उसकी यातना और पीड़ा का कारण बनते हैं। अगले जन्म में मृत्यु बिल्कुल नहीं होगी; नरक और स्वर्ग शाश्वत रहेंगे।
फुटनोट:
[1] एंगलहॉप्ट, एरिका। फ़रवरी 2014. कुछ जानवर अपनी माँ को खाते हैं, और अन्य नरभक्षण तथ्य। विज्ञान समाचार यहां से लिया गया।https://www.sciencenews.org/blog/gory-details/some-animals-eat-their-moms-and-other-cannibalism-facts
[2]कृपया देखें http://channel.nationalgeographic.com/wild/worlds-weirdest/videos/mother-eating-spiders/
[3] ज़िलिंस्की, सारा। मई 2015। जीव माताएँ बहुत त्याग करती हैं - कभी-कभी खुद का भी। विज्ञान समाचार। यहां से लिया गयाhttps://www.sciencenews.org/blog/wild-things/animal-moms-sacrifice-lot-%E2%80%94-sometimes-even-themselves
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