अल-सलाम - (शांति) - ईश्वर का एक नाम

रेटिंग:
फ़ॉन्ट का आकार:
A- A A+

विवरण: ईश्वर के सुंदर नाम अल-सलाम की व्याख्या जो हमें ईश्वर की पूर्णता के बारे मे बताता है और यह बताता है कि वह सभी शांति और संतोष का स्रोत है।

  • द्वारा Sheikh Salman al-Oadah (islamtoday.net) [edited by IslamReligion.com]
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
  • मुद्रित: 0
  • देखा गया: 3,393 (दैनिक औसत: 3)
  • रेटिंग: अभी तक नहीं
  • द्वारा रेटेड: 0
  • ईमेल किया गया: 0
  • पर टिप्पणी की है: 0
खराब श्रेष्ठ

अल-सलाम (शांति) ईश्वर के नामों में से एक है। ईश्वर कहता है: "वह अल्लाह (ईश्वर) ही है जिसके अलावा कोई ईश्वर नही है। वह सबका स्वामी है, अत्यंत पवित्र है, सर्वथा शान्ति प्रदान करने वाला है, रक्षक है..." (क़ुरआन 59:23)

Al-Salaam___(Peace)___A_Name_of_God._001.jpgअल्लाह शांति देने वाला है जो पूरी सृष्टि में शांति फैलाता है। जब जीवन को पहली बार बनाया गया था, तब शांति, सुरक्षा, और संतोष बहुत लंबे समय तक था। ईश्वर शांति है और वही सारी शांति का स्रोत है। यह वैसा ही है जैसा पैगंबर (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने कहा: "हे ईश्वर! आप शांति हैं और आप से शांति है। आप धन्य हो, महिमा और सम्मान के मालिक।"[1]

यह आश्चर्य की बात है कि कुछ लोग जो ईश्वर का आह्वान इस नेक नाम से करते हैं वो अपना जीवन दुनिया के प्रति विवाद और शत्रुता में जीते हैं। उनके जीवन का हर पहलू उनके भीतर से, उनके बाहरी व्यवहार से, उनकी सोच में, और उनके परिवारों के साथ संघर्ष से भरा है। ऐसा व्यक्ति ईश्वर से शांति कैसे पा सकता है?

अल-सलाम "सुदृढ़ता" के रूप में

अल-सलाम नाम का दूसरा मतलब "सुदृढ़ता" भी होता है, यानि किसी दोष, विकृति से मुक्त होना। इसका अर्थ है कि ईश्वर हर कमी और विकृति से मुक्त है, जैसे थकान, नींद, बीमारी या मृत्यु। ईश्वर का अस्तित्व पूर्ण है। ईश्वर कहता है: "अल्लाह (ईश्वर) के सिवा कोई दूसरा ईश्वर नही है, वह जीवित और आत्मनिर्भर है। न तो वो झपकी लेता है न ही उसे नींद आती है।" (क़ुरआन 2:255)

ईश्वर उन सभी चीजों से मुक्त है जो उसकी पूर्ण आत्मनिर्भरता का खंडन करती है। कोई भी चीज उसे थका नहीं सकती और न ही उससे बच सकती है। उसकी पहुंच से बाहर कुछ भी नहीं है।

शास्त्र के लोग ईश्वर की कमी बताते हैं जब वे दावा करते हैं कि उसने आकाश और धरती का निर्माण करने के बाद सातवें दिन विश्राम किया था। इसलिए ईश्वर कहता है: "वास्तव में हमने आकाश और धरती और इनके बीच में जो कुछ है सब छह दिनों में बनाया, और हमें कोई थकान नहीं हुई।" (क़ुरआन 50:38)

यदि ईश्वर कुछ करना चाहता है, तो वो बस कहता है "हो जा!" और वह हो जाता है। (क़ुरआन 36:28)

अल-सलाम नाम का यही अर्थ ईश्वर के ज्ञान पर लागू होता है। ईश्वर अज्ञान, संदेह और अनिर्णय से मुक्त है। उसके ज्ञान से कुछ भी छिपा नही है। उसका ज्ञान सीखने से नही मिल सकता है। यह ज्ञान असीमित है, पूर्ण है और पूरी तरह सटीक है और वह अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सब कुछ जानता है।

"क्या तुमने नहीं देखा कि ईश्वर जानता है जो भी आकाशों और धरती में है? तीन लोगों के बीच कोई गुप्त चर्चा नहीं होती, लेकिन वह उनमें से चौथा बनाता है, - न ही पांच के बीच, लेकिन वह छठा बनाता है, - न इनमे से कम की और न ही अधिक की, परन्तु वह उनके साथ होता है, चाहे वे कहीं भी हों।" (क़ुरआन 58:7)

"ईश्वर के लिए सब एक समान है, चाहे तुम में से कोई अपनी बात छिपाए या खुले तौर पर बताये, चाहे कोई रात के अंधेरे में छुपा हो या दिन के उजाले में चल रहा हो।" (क़ुरआन 13:10)

इसी तरह ईश्वर की बातें सभी झूठ और अन्याय से मुक्त है। ईश्वर कहता है: "तुम्हारे ईश्वर की बातें सत्य और न्याय वाली है।" (क़ुरआन 6:115)

उसके वचन सत्य हैं और उसका आदेश न्यायपूर्ण हैं। उसका कानून और उसकी इच्छा की हर अभिव्यक्ति पूर्ण है। ईश्वर का कानून समझदारी और ज्ञान से भरा है, जैसा कि क़ुरआन है जिसे उन्होंने अपने पैगंबर पर उतारा था। क़ुरआन अर्थ में समृद्ध है, बहुस्तरीय है, इस दुनिया और इसके बाद के जीवन में मनुष्यों के कल्याण के लिए हर तरह से उनका मार्गदर्शन करता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि क़ुरआन पढ़ने वाले इतने सारे लोग इसके ज्ञान को नजरअंदाज करते हैं और परंपराओं और रटने वाले ज्ञान का आंख बंद करके पालन करते हैं। वे रचनात्मक सोच और नवीनीकरण में असमर्थ हो गए हैं, और इसके कारण पिछड़ेपन, अज्ञानता और सांस्कृतिक गिरावट झेल रहे हैं जैसा आज कल के समय में हम देख रहे हैं।

ईश्वर अपने प्रभुत्व में किसी भी दावेदार, प्रतिद्वंद्वी, या भागीदार के होने से मुक्त है। वह अकेले ही इस दुनिया और इसके बाद के जीवन पर प्रभुत्व रखता है।

उसके फरमान और उनके आदेश अत्याचार और अन्याय से मुक्त है। पैगंबर मुहम्मद हमें बताते हैं कि ईश्वर कहता है: "ऐ मेरे बंदो! मैंने खुद को अन्याय करने से रोका है और तुम लोगों को भी आपस में अन्याय करने से मना किया है, इसलिए एक दूसरे पर अत्याचार न करो।"[2]

ईश्वर ने अपने न्याय की पूर्णता से खुद को कभी भी अन्यायपूर्ण कार्य करने से मना किया है और हमें भी एक दूसरे पर अत्याचार करने से मना करता है। वह कहता है: "और तुम्हारा ईश्वर अपने बंदों पर ज़रा भी ज़ुल्म नहीं करता।" (क़ुरआन 41:46)

ईश्वर हमें इस गुण को अपने अंदर विकसित करने को कहता है और कभी भी एक दूसरे के प्रति अन्याय करने से मना करता है। न्यायपूर्वक बन के हम अपने ईश्वर की भक्ति का कार्य करते हैं, क्योंकि ईश्वर न केवल न्यायी हैं, बल्कि वो न्याय और न्यायपूर्ण कार्य करने वालों को भी पसंद करता है। इसी तरह, वह सब कुछ जानने वाला है, और वह ज्ञान और ज्ञानी लोगों से प्यार करता है। वह सुन्दर है। वह सुंदरता से और जो अपने आप को सुंदर बनाते हैं, उनसे प्यार करता है। वह उदार है, और वह उदारता और परोपकारी लोगों से प्यार करता है। ये सब हमारे ईश्वर के गुणों में से हैं।

सुदृढ़ता, दोष से मुक्त होने का यह अर्थ ईश्वर के कार्यो पर भी लागु होता है: वह चाहे जो कुछ भी दे और चाहे जो कुछ न दे। जब ईश्वर हमें कुछ नही देता तो वह ऐसा कंजूसी या किसी कमी के कारण नहीं करता। ईश्वर की जय हो! जब वह अपने बंदो को कुछ नहीं देता है तो इसके पीछे उसकी असीम बुद्धि होती है। कुछ लोगों के लिए बेहतर है की वो अमीर हैं जबकि अन्य लोगों के लिए बेहतर है की वो गरीब हैं। "ईश्वर जिसे चाहे उसकी आजीविका बढ़ाता है, और जिसे चाहे सीमित करता है; और वे दुनिया के जीवन में आनन्दित होते हैं, जबकि दुनिया का जीवन परलोक की तुलना में केवल संक्षिप्त आराम है।" (क़ुरआन 13:26) इसी तरह कुछ लोगों का स्वस्थ रहना बेहतर है जबकि अन्य लोगों का बीमार रहना बेहतर है। ईश्वर जानता है कि हम में से प्रत्येक को क्या चाहिए और अंततः हमारे लिए क्या बेहतर है।

किसी भी विकृति या कमी से मुक्त होने का गुण ईश्वर की पूर्णता को दर्शाता है। ईश्वर के गुण किसी भी बनाई हुई चीजों से मिलते-जुलते नहीं हैं। वह अतुलनीय है। यह ईश्वर की बुद्धि से है कि मनुष्यों में निहित सीमाएं और कमियां हैं और हमारा जीवन दुनिया के उतार-चढाव से भरा हुआ है। वहीं दूसरी ओर ईश्वर अल-सलाम है, जो सभी कमियों और विकृति से मुक्त है।

ईश्वर का नाम अल-सलाम वास्तव में अपने अर्थ में महान है क्योंकि यह उस पूर्णता को दर्शाता है जो ईश्वर के सभी नामों में है - कि ईश्वर की प्रत्येक विशेषता किसी भी कमियों से मुक्त है।

जब हम एक-दूसरे को शांति से "अस-सलाम अलैकुम" कहकर अभिवादन करते हैं, तो हम ईश्वर के इस नाम का आह्वान करते हैं, और ऐसा करते हुए हम ईश्वर की पूर्णता के साथ-साथ शांति के विचार के इस अर्थ को संप्रेषित करते हैं।

और वास्तव में ईश्वर ने विश्वासियों के सलाम को "शांति" बना दिया है: "जिस दिन वे ईश्वर से मिलेंगे उस दिन उनका स्वागत सलाम से होगा" (क़ुरआन 33:44)

ईश्वर ने हमें इस अभिवादन का उपयोग करने का आदेश दिया: "इसलिए जब तुम घरों में प्रवेश करो, तो अपने लोगों को सलाम किया करो।" (क़ुरआन 24:61) इसलिए एक आस्तिक इस सलाम से खुद पर और दुसरो पर शांति के लिए पार्थना करता है।

ईश्वर शांति के दाता हैं

वास्तव में ईश्वर इस दुनिया में अपने बंदो को शांति के अभिवादन से पुकारता हैं।

"सलाम है नूह़ के लिए समस्त विश्ववासियों में" (क़ुरआन 37:79) "सलाम है इब्राहिम पर" (क़ुरआन 37:109) "सलाम है मूसा और हारून पर" (क़ुरआन 37:120) "सलाम है इलियास पर" (क़ुरआन 37:130) "सलाम है पैगंबरो पर" (क़ुरआन 37:181) "आप कह दें: सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है और सलाम है उसके उन भक्तों पर जिन्हें उसने चुना है" (क़ुरआन 27:59) "सलाम है उन पर जो मार्गदर्शन का पालन करते हैं" (क़ुरआन 20:47)

अपने भक्तों पर ईश्वर का अभिवादन उसका फरमान है कि वे इस दुनिया और परलोक में सुरक्षित रहेंगे। यद्यपि वे उन परिक्षाओं और विपत्तीओं से गुजरेंगे जो दुनिया में दूसरे लोग अनुभव करते हैं, ईश्वर उनके दिलों को संतोष और विश्वास की निश्चितता देता है जो उनकी कठिनाइयों को एक वरदान और एक उपहार के अनुभव में बदल देता है। ईश्वर उनके लिए जो कुछ भी तय करता है उससे उनके दिल संतुष्ट हैं और शांत रहते है।

प्रख्यात साथी साद इब्न अबी वक्कास सौभाग्यशाली थे कि उनकी प्रार्थनाओं का हमेशा उत्तर मिलता था। जब वह अंधे हो गए, तो लोग उनसे कहते: "आप ईश्वर से अपनी दृष्टि ठीक करने के लिए क्यों नहीं कहते?"

वह उत्तर देते: "ईश्वर की कसम! ईश्वर के आदेश से संतुष्ट होना मुझे मेरी इच्छा से अधिक प्रिय है।"

हे ईश्वर! आप शांति हैं और आप से शांति है। आप धन्य हो, महिमा और सम्मान के मालिक।



फुटनोट:

[1] सहीह मुस्लिम

[2] सहीह मुस्लिम

खराब श्रेष्ठ

टिप्पणी करें

  • (जनता को नहीं दिखाया गया)

  • आपकी टिप्पणी की समीक्षा की जाएगी और 24 घंटे के अंदर इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए।

    तारांकित (*) स्थान भरना आवश्यक है।

सर्वाधिक देखा गया

प्रतिदिन
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
कुल
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

संपादक की पसंद

(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सूची सामग्री

आपके अंतिम बार देखने के बाद से
यह सूची अभी खाली है।
सभी तिथि अनुसार
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सबसे लोकप्रिय

सर्वाधिक रेटिंग दिया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
सर्वाधिक ईमेल किया गया
सर्वाधिक प्रिंट किया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
इस पर सर्वाधिक टिप्पणी की गई
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

आपका पसंदीदा

आपकी पसंदीदा सूची खाली है। आप लेख टूल का उपयोग करके इस सूची में लेख डाल सकते हैं।

आपका इतिहास

आपकी इतिहास सूची खाली है।

Minimize chat