मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन... इस्लाम क़बूल करने के बारे में मिथक (भाग 3 का 1)

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विवरण: ईश्वर इस्लाम क़बूल करना आसान बनाता है, मुश्किल नहीं।

  • द्वारा Aisha Stacey (© 2011 IslamReligion.com)
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 14 Aug 2022
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IwantToBeMuslimPart1.jpgइस्लाम में सबसे बुनियादी मान्यता यह है कि ईश्वर के अलावा कोई सच्चा ईश्वर (देवता) नहीं है। वह एकमात्र, पहला और आखिरी, उसका कोई साथी, पुत्र, पुत्री या बिचौलिया नहीं है। वह अपने प्रभुत्व और अपने सर्व-शक्तिमान के क्षेत्र में अकेला है। यह एक बहुत ही सरल अवधारणा है, यह सिर्फ एक सच्चाई है। फिर भी कभी-कभी ईश्वर पर सच्ची आस्था भारी पड़ सकती है। हमें अक्सर हैरानी होती है जब हम ईश्वर को पुकारते हैं और वह तुरंत जवाब देता है।

इस्लाम धर्म उस सरल अवधारणा को सम्मिलित करता है – कि ईश्वर एक है और इसे आत्मसमर्पण नामक पैकेज में प्रदान किया गया है। इस्लाम का मतलब है, ईश्वर की इच्छा के आगे आत्मसमर्पण करना। इस्लाम (सा-ला-मा) का मूल शब्द वही है जो अरबी शब्द के साथ साझा किया गया है जिसका मतलब है अमन और शांति। संक्षेप में, अमन और शांति ईश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीने से आती है। जीवन के एक चक्र की तरह, यह हमेशा एक ही जगह पर शुरू और समाप्त होता है – ईश्वर के अलावा कोई ईश्वर नहीं है। जब हम ईश्वर की इच्छा के आगे आत्मसमर्पण करते हैं, तो हम मुसलमान कहलाते हैं और अपनी ईमानदारी का प्रदर्शन करने के लिए हम अकेले या अन्य मुसलमानों के साथ, ला इलाह इल्ला अल्लाह, मुहम्मद रसूल अल्लाह कहकर मुसलमान होने की गवाही देते हैं। ईश्वर के अलावा कोई सच्चा ईश्वर (देवता) नहीं है, और मुहम्मद, ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे, उनके पैगंबर हैं।

जब भी कोई व्यक्ति ईश्वर की दया का अनुभव करता है और उसे समझता है, शैतान उस व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश करता है। शैतान नहीं चाहता कि हम सांत्वना और दया महसूस करें; वह चाहता है कि हम चिंतित और उदास रहें। वह चाहता है कि हम गलतियां और पाप करें। शैतान हमेशा ईश्वर के प्रेम को महसूस करने से मायूस हो जाता है इसलिए वह अधिक से अधिक मनुष्यों को भ्रष्ट करना चाहता है।

(शैतान ने कहा) “…मैं भी लोगों के लिए तेरे सीधे मार्ग पर बैठूंगा। फिर उन पर आऊँगा उनके सामने से और उनके पीछे से और उनके दायें से और उनके बायें से…” (क़ुरआन 7:16-17)

जब भी कोई व्यक्ति सच्चाई का एहसास करता है और मुसलमान होना चाहता है, तो शैतान 'लेकिन' शब्द लेकर आता है। मुझे मुसलमान बनना है...लेकिन! लेकिन मैं तैयार नहीं हूं। लेकिन मैं अरबी भाषा नहीं बोलता। लेकिन मैं श्वेत हूं। लेकिन मैं असल में इस्लाम के बारे में कुछ नहीं जानता। ईश्वर ने हमें शैतान और उसके शातिर तरीकों से सावधान किया।

“ऐ आदम की संतान, शैतान तुमको भ्रमित न कर दे।” (क़ुरआन 7:27)

“निसंदेह शैतान तुम्हारा शत्रु है तो तुम उसको शत्रु ही समझो।” (क़ुरआन 35:6)

शैतान की फुसफुसाहट हमें इस्लाम क़बूल करने से रोकने की कोशिश करती है। ये विचार किसी व्यक्ति के परम दयालु ईश्वर से जुड़ने या फिर से जुड़ने के रास्ते में नहीं आने चाहिए। इन लेखों की श्रृंखला में, हम कुछ सबसे प्रमुख मिथकों पर चर्चा करेंगे, उन्हें समीक्षा के लिए खुला रखेंगे, और देखेंगे कि ईश्वर वाकई सबसे दयालु है। वह इस्लाम को क़बूल करना आसान बनाता है, मुश्किल नहीं। कोई किंतु-परंतु नहीं!

1.मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन मैं अपना नाम नहीं बदलना चाहता।

इस्लाम अपनाने वाले व्यक्ति को अपना नाम बदलने की जरूरत नहीं है। पैगंबर मुहम्मद, ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे, ने कहा कि हर कोई एक अच्छे नाम का हकदार था, एक ऐसा नाम जिसका कोई मतलब या किरदार था। अधिकतर लोगों के लिए, यह कोई परेशानी की बात नहीं है, हालांकि, अगर आपको पता चलता है कि आपके नाम का गलत मतलब है या पापियों या अत्याचारियों के साथ जुड़ा है, तो नाम को अधिक स्वीकार्य में बदलना बेहतर है। अगर व्यक्ति का नाम किसी मूर्ति के नाम पर है या भगवान के अलावा किसी चीज या किसी और की गुलामी को दर्शाता है, तो उस नाम को बदलना होगा। हालांकि याद रखें कि इस्लाम काफी सरल है। अगर आपका नाम आधिकारिक तौर पर बदलने से परेशानी, मुश्किल या नुकसान होगा, तो इसे केवल मित्रों और परिवार के बीच ही बदलना काफी होगा।

2.मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन मुझे अरबी भाषा नहीं आती

इस्लाम धर्म दुनिया के हर कोने में सभी लोगों के लिए हर वक़्त मौजूद रहा है। यह केवल अरब या अरबी बोलने वालों का धर्म नहीं है। असल में, दुनिया के 1.4 अरब मुसलमानों में से अधिकतर मुसलमान अरब पृष्ठभूमि से नहीं हैं। कोई अरबी का एक भी शब्द जाने बिना मुसलमान बन सकता है; यह इस्लाम क़बूल करने की उसकी क्षमता को प्रभावित नहीं करता है। हालांकि, क़ुरआन की भाषा अरबी है और हर दिन आराधना अरबी में की जाती है, इसलिए बहरहाल पूरी भाषा सीखना आवश्यक नहीं है, इस्लाम क़बूल करने के बाद कुछ अरबी शब्दों को सीखना आवश्यक होगा।

अगर कोई व्यक्ति वाणी दोष या अरबी का उच्चारण करने में सक्षम ना होने के कारण इबादत करने के लिए पर्याप्त अरबी सीखने में असमर्थ है, तो उसे जितना हो सके उतना प्रयास करना चाहिए। कम से कम अगर कुछ अरबी शब्द सीखना संभव नहीं है, तो वह इस ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाता है, क्योंकि ईश्वर लोगों पर उतना बोझ नहीं डालता जितना कि वे सहन नहीं कर सकते। हालांकि, ईश्वर यह भी कहता हैं कि उन्होंने क़ुरआन को सीखना आसान बना दिया है, इसलिए एक व्यक्ति के लिए अपनी पूरी कोशिश करना अनिवार्य है।

“ईश्वर किसी पर दायित्व का भार नहीं डालता परन्तु उसकी सहन-शक्ति के अनुसार।” (क़ुरआन 2:286)

“और हमने क़ुरआन को उपदेश के लिए सरल कर दिया है,” (क़ुरआन 54:17)

एक आदमी पैगंबर के पास आया और कहा: "हे ईश्वर के दूत, मुझे क़ुरआन के बारे में कुछ सिखाओ जो मेरे लिए पर्याप्त होगा, क्योंकि मैं पढ़ नहीं सकता।" उन्होंने कहा, "कहो: सुब्हान-अल्लाह वल-हम्दु लिल्लाह वा ला इलाहा इल्लल्लाह वा अल्लाहु अकबर वा ला हवला वा ला कूवत इल्ला बिल्लाह (हर कमी को दूर करने वाला ईश्वर है, ईश्वर का गुणगान हो, ईश्वर के अलावा कोई ईश्वर नहीं है और ईश्वर सबसे महान है, ईश्वर के अलावा कोई ईश्वर नहीं है और ईश्वर के अलावा कोई शक्ति या ताक़त नहीं)।”[1]

इस्लाम की तह में प्रवेश करना आसान है। यह एक सरल प्रक्रिया है, जटिलताओं से मुक्त। भाग 2 में हम खतना पर चर्चा करेंगे, इस तथ्य पर कि इस्लाम में कोई जातीय या नस्ल प्रतिबंध नहीं है और इस्लाम के बारे में बहुत कुछ जाने बिना मुसलमान होना।


फ़ुटनोट्स:

[1] अबू दाउद, अन नसाई

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मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन... इस्लाम क़बूल करने के बारे में मिथक (भाग 3 का 2)

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विवरण: उन मिथकों से संबंधित अधिक जानकारी जो किसी व्यक्ति को इस्लाम क़बूल करने से रोकते हैं।

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IwantToBeMuslimPart2.jpgकोई ईश्वर नहीं है सिवाय ईश्वर के। यह एक आसान सा कथन है जो इस्लाम क़बूल करने को आसान बना देता है। केवल एक ही ईश्वर है, और केवल एक ही धर्म है, इससे अधिक सरल कुछ नहीं हो सकता। हालांकि, जैसा कि हमने पिछले लेख में चर्चा की थी, जब भी कोई व्यक्ति सच्चाई तक पहुंचता है और वह मुसलमान होना चाहता है, तो शैतान लेकिन शब्द से परिचय कराता है। मैं मुसलमान होना चाहता हूं...लेकिन। लेकिन मैं तैयार नहीं हूं। लेकिन मैं अरबी नहीं बोलता, या लेकिन मैं अपना नाम बदलना नहीं चाहता। आज हम कई और मिथकों पर चर्चा करेंगे जो लोगों को इस्लाम क़बूल करने से रोकते हैं।

3.मैं मुसलमान बनना चाहता हूं लेकिन मैं खतना नहीं करवाना चाहता।

पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि हर बच्चा फितरत के साथ, अपने ईश्वर की सही समझ के साथ पैदा होता है।[1] और पैगंबर मुहम्मद के कर्म हमें बताते हैं कि फितरत (इंसान की प्राकृतिक अवस्था) से संबंधित पांच शर्तें हैं।

"फितरत में पांच चीजें शामिल हैं: जांघ के बालों को साफ करना, खतना करना, मूंछों को ट्रिम करना, बगल के बालों को हटाना और नाखून काटना"।[2] इसे प्राचीन तरीक़ा माना जाता है, यही प्राकृतिक तरीक़ा है, जिसका पालन सभी पैगंबरों द्वारा किया गया, और उनके समर्थकों ने उनके बताए इस बात का हमेशा से पालन किया है।[3]

अधिकांश इस्लामी विद्वान इस बात से सहमत हैं कि पुरुषों के लिए खतना ज़रूरी है बशर्ते उन्हें इस बात का डर न हो कि इसे करवाने से उन्हें किसी प्रकार का नुकसान हो सकता है। नुकसान की सीमा का आकलन करते समय किसी व्यक्ति को मार्गदर्शन के लिए क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की प्रामाणिक शिक्षाओं को देखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी की आशंका जताता है या कोई अन्य उचित कारण बताता है, जो कि उसके जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है तो ऐसे हालात में खतना करवाना अनिवार्य नहीं हो सकता है इस्लाम ने इस मसले को इतनी कड़ाई से अनिवार्य नहीं ठहराया है जिससे कि यह किसी व्यक्ति द्वारा इस्लाम क़बूल करने के बीच बाधा बन जाए[4] दूसरे शब्दों में कहें तो, यह मुसलमान होने की शर्त नहीं है साथ ही, यह किसी व्यक्ति को नमाज़ पढ़ने से नहीं रोकता है[5]

इस्लाम में महिलाओं को खतना करवाने की आवश्यकता नहीं है।

4.मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन मैं गोरा हूं।

इस्लाम वह धर्म है जो सभी लोगों के लिए, सभी स्थानों पर, हर समय मौजूद रहा है। यह किसी विशेष जाति या जातीयता के लिए नहीं आया था। यह क़ुरआन में मिली शिक्षाओं और पैगंबर मुहम्मद की प्रामाणिक कर्मों के आधार पर जीवन जीने का एक संपूर्ण तरीका है। हालांकि क़ुरआन अरबी भाषा में नाज़िल (उतारा) हुआ था और पैगंबर मुहम्मद अरब के वासी थे, लेकिन यह मान लेना गलत होगा कि सभी मुसलमान अरब के वासी हैं, या यह बात कि अरब के सभी लोग मुसलमान हैं। वास्तव में दुनिया के 1.4 अरब मुसलमानों में से अधिकांश अरब के बाशिंदे नहीं हैं।

एक मुसलमान होने के लिए किसी ख़ास नस्ल या जाति का होना अनिवार्य नहीं है। अपने अंतिम ख़ुत्बे (उपदेश) में पैगंबर मुहम्मद ने इस तथ्य को बहुत संक्षेप में दोहराया था।

"सभी मानव जाति आदम और हव्वा की संतान हैं, एक अरब वासी को गैर-अरब वासी पर कोई श्रेष्ठता हासिल नहीं है और एक गैर-अरब वासी को अरब वासी पर कोई श्रेष्ठता हासिल नहीं है; एक गोरे व्यक्ति को एक काले व्यक्ति पर कोई श्रेष्ठता हासिल नहीं है और न ही एक काले व्यक्ति को एक गोरे व्यक्ति पर श्रेष्ठता हासिल है, सिवाय धर्मनिष्ठा और अच्छे कर्म के बल पर कोई व्यक्ति श्रेष्ठ बन सकता है। जान लो कि हर मुसलमान हर मुसलमान का भाई है और मुसलमान भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।"[6]

“ऐ लोगों, हमने तुम्हें एक पुरुष और एक स्त्राी से पैदा किया। और तुमको जातियों और परिवारों में बाँट दिया, ताकि तुम एक दूसरे को पहचानो।” (क़ुरआन 49:13)

5.मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन मैं इस्लाम के बारे में कुछ नहीं जानता।

मुसलमान होने के लिए इस्लाम के बारे में बहुत ज़्यादा जानने की ज़रूरत नहीं है। गवाही (कलमे) का अर्थ और आस्था के छह स्तंभों को जानना ही काफी है। एक बार जब कोई व्यक्ति इस्लाम धर्म अपना लेता है, तो उसके पास अपने धर्म के बारे में जानने का समय होता है। जल्बादज़ी करने और परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। चीज़ों को धीरे-धीरे आराम से करें, लेकिन लगातार अपनी गति से आगे बढ़ें।इस्लाम की प्रेरणात्मक सुंदरता और सहजता को समझने और आखरी पैगंबर मुहम्मद सहित इस्लाम के सभी पैगंबरों और नबियों के बारे में जानने का समय आपके पास यकीनन होगा। एक मुसलमान कभी सीखना बंद नहीं करता; यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो मृत्यु तक जारी रहती है।

पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "विश्वासी के लिए स्वर्ग तक पहुंचने तक सबसे अच्छी चीज़ (ज्ञान की तलाश) है जो उनके लिए कभी पर्याप्त नहीं होता है"[7]

6.मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन मैंने बहुत पाप किए हैं।

जब कोई व्यक्ति विश्वास की गवाही (शहादत) देता है, यानि यह कहता है कि मैं गवाही देता हूं कि ईश्वर के सिवाय कोई ईश्वर नहीं है और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद उसके रसूल (दूत) हैं, तब वह एक नवजात शिशु की तरह हो जाता है। उसके पिछले सभी पाप माफ़ कर दिए जाते हैं, चाहे कितने ही बड़े हों या छोटे हों, सभी पाप धुल जाते हैं। स्लेट साफ, पाप से मुक्त, चमकदार और सफेद हो जाते हैं; यह एक नई शुरुआत होती है।

“अवज्ञाकारियों से कहो कि यदि वह मान जायें तो जो कुछ हो चुका है उसे क्षमा कर दिया जायेगा…” (क़ुरआन 8:38)

इस्लाम की सच्चाई को मानने के लिए किसी व्यक्ति पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है। हालांकि अगर आपका दिल आपसे कहता है कि केवल एक ही ईश्वर है, तो संकोच न करें।

“दीन (धर्म) के संबंध में कोई ज़बरदस्ती नहीं। सन्मार्ग, पथभ्रष्टता से अलग हो चुका है। अतः जो व्यक्ति, शैतान को झुठलाए और ईमान लाए, उसने ऐसा ठोस सहारा पकड़ लिया जो टूटने वाला नहीं। और ईश्वर सुनने वाला जानने वाला है।” (क़ुरआन 2:256)



फुटनोट:

[1] सहीह मुस्लिम

[2] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[3] अल-शक्वानि, नायल अल-अवतार, बाब सुनन अल-फ़ितरः

[4] फ़तावा अल-लजनः अल-दाइमह, 5/115, अल-लजाबात ‘अला अस्साइला अल-जालियात, 1/3,4

[6] विदाई ख़ुत्बा (उपदेश) का पाठ सही अल-बुखारी और सही मुस्लिम में मिल सकता है, और इमाम तिर्मिज़ी और इमाम अहमद की किताबों में।

[7] इमाम तिर्मिज़ी

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विवरण: पापों का बोझ, दूसरों की प्रतिक्रियाओं का डर, या किसी मुसलमान को न जानना किसी व्यक्ति को इस्लाम क़बूल करने से नहीं रोक सकता।

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हमने भाग 2 को यह उल्लेख करते हुए समाप्त किया था कि जब कोई व्यक्ति इस्लाम क़बूल करता है तो उनके पिछले सभी पाप माफ़ कर दिए जाते हैं, चाहे कितने ही बड़े हों या छोटे हों, सारे पाप धुल जाते हैं। स्लेट साफ, पाप से मुक्त, चमकदार और सफेद हो जाते हैं; यह एक नई शुरुआत होती है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस्लाम क़बूल करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि वे पाप से दूर नहीं रह पाएंगे। हम भाग 3 की शुरुआत इसी विषय पर चर्चा करते हुए शरू करेंगे।

7. मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन मैं जानता हूं कि कुछ ऐसे पाप हैं जिन्हें मैं छोड़ नहीं सकता।

यदि कोई व्यक्ति यक़ीन रखता है कि ईश्वर के सिवाय कोई ईश्वर नहीं है, तो उसे बिना देर किए इस्लाम क़बूल कर लेना चाहिए, भले ही उन्हें लगता हो कि वे पाप करना नहीं छोड़ पाएंगे। जब किसी व्यक्ति को किसी भी नैतिक सिद्धांतों से मुक्त जीवन जीने की आदत हो जाए तो शुरुआत में उसे इस्लाम नियमों और कानूनों का एक ढेर सा लग सकता है जिसे पूरा करना लगभग असंभव है। मुसलमान शराब नहीं पीते, मुसलमान सूअर का मांस नहीं खाते, मुस्लिम औरतों को स्कार्फ़ पहनना चाहिए, मुसलमानों को हर दिन पांच बार नमाज़ पढ़नी चाहिए। पुरुष और महिलाएं खुद से ऐसी बातें कहते हैं, "मैं शायद शराब पीना नहीं छोड़ सकता", या "मुझे हर दिन पांच बार नमाज़ पढ़ने में बहुत मुश्किल होगी"।

हालांकि, वास्तविकता यह है कि एक बार जब किसी व्यक्ति ने स्वीकार कर लिया कि ईश्वर के सिवाय कोई ईश्वरआराधना के लायक नहीं है, और उसने उसके साथ एक संबंध विकसित कर लिया, फिर नियम और कानून महत्वहीन हो जाते हैं। यह ईश्वर को प्रसन्न करने की एक धीमी प्रक्रिया है। कुछ लोगों के लिए, अच्छे जीवन के लिए दिशानिर्देशों को स्वीकार करना कुछ दिनों, घंटों का मामला होता है, दूसरों के लिए यह सप्ताह, महीने या साल का भी हो सकता है। इस्लाम में प्रत्येक व्यक्ति सफ़र अलग-अलग होता है। यह याद रखना ज़रूरी है कि ईश्वर सभी पापों को क्षमा करता है। एक विश्वासी, ईश्वर की दया से, स्वर्ग जा सकता है, चाहे उसने कितने ही पाप किए हों। दूसरी ओर, एक अविश्वासी, जो एक सच्चे ईश्वर के अलावा किसी और चीज़ या किसी अन्य की आराधना करता है, उसे अनंत नरक की आग में डाल दिया जाएगा। इसलिए इस्लाम को पूरी तरह से क़बूल न करना या पाप करने वाले मुसलमान होने के बीच अगर एक विकल्प चुनने दिया जाए, तो दूसरी पसंद निश्चित रूप से बहुत बेहतर है।

8. मैं मुसलमान होना चाहता हूं लेकिन दूसरों को बताने से डरता हूं।

जैसा कि हमने बार-बार इसपर ज़ोर दिया है कि दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी व्यक्ति को इस्लाम क़बूल से रोक सकती है। यदि कोई अपने माता-पिता, भाई-बहन या दोस्तों जैसे दूसरे लोगों की प्रतिक्रिया से डरता है, और महसूस करता है कि वे उन्हें बताने के लिए अभी तैयार नहीं हैं, फिर भी उन्हें धर्म परिवर्तन कर लेना चाहिए और जितना हो सके गुप्त रूप से इस्लाम के रास्ते पर चलने का प्रयास करना चाहिए। जैसे-जैसे समय बीतता है, और ईश्वर के साथ संबंध स्थापित होता है, वैसे-वैसे व्यक्ति का विश्वास मज़बूत होता जाएगा और वे जानेंगे कि स्थिति को बेहतर तरीक़े से कैसे संभालना है। वास्तव में नया मुसलमान लगभग निश्चित रूप से आज़ाद महसूस करेगा और पूरी दुनिया को इस्लाम की सुंदरता के बारे में सूचित करने की ज़रुरत महसूस करने लगेगा

इस बीच, अपने मित्रों और परिवार को स्पष्ट रूप से होने वाले परिवर्तनों के लिए धीरे-धीरे और सूक्ष्म रूप से तैयार करना एक अच्छा विचार है। अब शायद कोई आमतौर पर ईश्वर और धर्म के बारे में खुलकर बात करना शुरू कर सकता है, अन्य धर्मों या विशेष रूप से इस्लाम में रुचि व्यक्त कर सकता है। जब कोई व्यक्ति इस्लाम के रास्ते पर चालना शुरू करता है, जो असल में ज़िंदगी जीने का एक तरीका है, तो उनके करीबी लोगों को अक्सर फ़र्क दिखाई देता है। वे अपने परिवार और समाज के लिए एक नई इज़्ज़त महसूस करेंगे; वे अक्सर चिंतित और दुखी वाले मानसिक स्थिति से शांत और संतुष्ट होने के लिए व्यवहार में बदलावमहसूस करेंगे

इस्लाम ज़िंदगी जीने का एक तरीका है और इसे लंबे समय तक छिपाए रखना मुश्किल है। यह याद रखना बेहद ज़रूरी है कि जब लोग आपके इस्लाम क़बूल करने के बारे में जानेंगे तो बेशक लोगों की प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी। यह प्रतिक्रिया आपको खुश और क़बूल करने वाले लोगों से लेकर परेशान और निराशा महसूस करने वालों तक दिखेगा। अक्सर परेशान लोग वक़्त के साथ इससे उबर जाते हैं और बदलाव को स्वीकार करने लगते हैं। और जब वे आप के अंदर कई सकारात्मक बदलाव देखते हैं, तो वे असल में आपके बदलाव की सराहना करना शुरू कर सकते हैं। व्यक्ति को दृढ़ निश्चयी बने रहने और यह जानने की ज़रूरत है कि ईश्वर आपके साथ है। आपके शब्द और अनुभव दूसरों को आपके रास्ते का अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ईश्वर पर भरोसा रखें, अपनी नई आस्था के बारे में जितना हो सके सीखें और अपनी ज़िंदगी में इस्लाम की रोशनी को चमकने दें।

9. मैं मुसलमान होना चाहता हूं पर मैं किसी मुसलमान को नहीं जानता

कुछ लोग इस्लाम के बारे में पढ़कर सीखते हैं, कुछ लोग अपने शहरों और कस्बों में मुसलमानों के बर्ताव को देखकर प्रभावित होते हैं, कुछ लोग टीवी पर कार्यक्रमों को देखकर भी इस्लाम के बारे में सीखते हैं और अन्य कई लोगों को, नमाज़ के लिए अज़ान की आवाज़ भी प्रभावित करती है। अक्सर लोग बिना किसी मुसलमान से मिले इस्लाम की ख़ूबसूरती देख और पा लेते हैं। इस्लाम क़बूल करने और इस्लाम को अपनाने से पहले मुसलमानों को जानना ज़रूरी नहीं है।

इस्लाम क़बूल करना शब्दों को कहने जितना ही आसान है, मैं गवाही देता हूं कि ईश्वर के सिवाय कोई ईश्वर नहीं है और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद उनके पैगंबर हैं।इस्लाम को क़बूल करने के लिए किसी मस्जिद (इस्लामिक केंद्र) में जाना ज़रूरी नहीं है और न ही इस्लाम क़बूल करने के लिए गवाहों की आवश्यकता होती है हालांकि, ये बातें इस्लाम के अंदर भाईचारे को दर्शाती है और दूसरों के नैतिक और आध्यात्मिक समर्थन के साथ एक नई आस्था की शुरुआत को चिह्नित करती है यदि आसपास मदद करने के लिए कोई इस्लामिक केंद्र या मुसलमान मौजूद नहीं हो, तो आप बस "इस्लाम क़बूल करने और मुसलमान होने का तरीका" में बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं

इस्लाम क़बूल करने के बाद नए मुसलमान के लिए अन्य मुसलमानों के साथ संपर्क बनाना बहुत मददगार हो सकता है। आप अपने नए आध्यात्मिक परिवार के सदस्यों से स्थानीय मस्जिदों और इस्लामिक केंद्रों के पास जाकर मिल सकते हैं या फिर आप सड़क किनारे रहने वाले, एक ही बस पर सफ़र करने वाले, या एक ही कंपनी में काम करने वाले किसी मुसलमान से अपना परिचय देकर मिल सकते हैं। हालांकि, भले ही नया मुसलमान पूरी तरह से अकेला हो, वह 1.5 अरब अन्य मुसलमानों से जुड़ा हुआ है।

इस्लाम क़बूल करने से पहले या बाद में, यह वेबसाइट उन नए मुसलमानों की मदद के लिए उपलब्ध है जो इस्लाम को अपनाने के बारे में सोच रहे हैं। इस्लाम के बारे में आसानी से जानने के लिए सैकड़ों लेख मौजूद हैं। आपके इस्लाम क़बूल करने के बाद, यह वेबसाइट आपको लाइव-चैट के ज़रिए उपयोगी संसाधन और ऑनलाइन समर्थन देकर एक नए मुसलमान के रूप में शुरुआत करने में आपकी मदद करेगा।

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